Shree Yantra Puja On Diwali 2022: हमारे धर्म पुराणों में मां लक्ष्मी और उनका प्रतीक माने जाने वाले श्री यंत्र की महिमा का वर्णन किया गया है. मान्यताओं के अनुसार श्री यंत्र को घर के पूजा गृह, तिजोरी में रख कर नियमित रूप से धूप, दीप आदि से पूजा करनी चाहिए.
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पटनाः Shree Yantra Puja On Diwali 2022: दीपावली का त्योहार समृद्धि और ऐश्वर्य को आध्यात्म के जरिए पाने का त्योहार होता है. शास्त्रों में वैभव और समृद्धि प्राप्त करने के अनेक उपाय बताए गए हें. इनमे सबसे सहज, सरल और फलीभूत होने वाले उपायों में से एक है श्रीयंत्र की पूजा-उपासना. मान्यता है कि श्रीयंत्र की आराधना से अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और सुख-शांति के साथ विपुल धन-धान्य का सौभाग्य प्राप्त होता है. श्रीयंत्र देवी लक्ष्मी का आत्मा स्वरूप है. इसकी पूजा अगर बिना किसी गलती और बहुत शुद्ध तरीके से हो जाए तो देवी लक्ष्मी की कृपा बरसने से कोई नहीं रोक सकता है.
मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए करें श्री यंत्र की पूजा
हमारे धर्म पुराणों में मां लक्ष्मी और उनका प्रतीक माने जाने वाले श्री यंत्र की महिमा का वर्णन किया गया है. मान्यताओं के अनुसार श्री यंत्र को घर के पूजा गृह, तिजोरी में रख कर नियमित रूप से धूप, दीप आदि से पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से मनुष्य को धन-धान्य और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. श्री यंत्र को यंत्रों का राजा भी कहा जाता है. विशेष रूप से नवरात्रि और धनतेरस के दिन श्री यंत्र की पूजा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलती है. शास्त्रों में श्री यंत्र को तीनों लोको का प्रतीक माना गया है. इसलिए इसे त्रिपुर यंत्र भी कहते हैं.इसकी स्थापना करने से सभी कार्य संभव हो जाते हैं.
श्री यंत्र का ऐसा होता है स्वरूप
श्री यंत्र का स्वरूप बहुत अद्भुत होता है. श्री यंत्र शब्द का निर्माण यम धातु से होता है. जिससे ग्रह या देवी देवताओं के होने का बोध प्राप्त होता है. श्री यंत्र का स्वरूप ज्यामितीय होता है, जिसका निर्माण त्रिभुज, वृत्त, आयत और बिंदुओं से मिलकर होता है. श्रीयंत्र के बिंदु त्रिकोण वसुकोण युग्म चतुर्दशार नाग दल षोडश तीन व्रत और भूपुर से बना है. इसमें चार मुख वाले शिव त्रिकोण, पांच मुख वाले शक्ति त्रिकोण मौजूद होते है. ये सभी आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. शारदा तिलक और तांत्रिक ग्रंथों में श्री यंत्र की व्याख्या की गई है. श्री यंत्र का निर्माण पत्थर, धातु और विशेष पत्रों में किया जाता है. श्री यंत्र का निर्माण किसी तांत्रिक से शुभ मुहूर्त या गुरु पुष्य योग में चांदी तांबा या सोने पर नियमानुसार करना चाहिए.
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