2014 के बाद कांग्रेस नेताओं पर ED-CBI की सबसे अधिक कार्रवाई, 5वें नंबर पर लालू प्रसाद यादव की फैमिली
बिहार में सीबीआई और ईडी की सक्रियता काफी बढ़ गई है. विपक्षी दल जहां इसे दूसरे दलों की सरकारों के खिलाफ केंद्र सरकार की एकतरफा कार्रवाई बता रहे हैं तो सत्तापक्ष यानी बीजेपी इसे करनी का फल बता रही है.
Patna: बिहार में सीबीआई और ईडी की सक्रियता काफी बढ़ गई है. विपक्षी दल जहां इसे दूसरे दलों की सरकारों के खिलाफ केंद्र सरकार की एकतरफा कार्रवाई बता रहे हैं तो सत्तापक्ष यानी बीजेपी इसे करनी का फल बता रही है. होली से पहले राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव से सीबीआई पूछताछ हुई तो होली के बाद ईडी ने सीधे रेड ही मार दिया. दिल्ली से लेकर पटना तक राजनीति हुई, बयानबाजी हुई पर न सीबीआई पर कोई फर्क पड़ा और न ही ईडी पर. हालांकि सीबीआई और ईडी की इस सक्रियता से केवल लालू प्रसाद यादव की फैमिली परेशान है, ऐसा भी नहीं है. दिल्ली शराब घोटाले की आंच में मनीष सिसोदिया झुलस चुके हैं तो इसकी जद में बीआरएस की के. कविता भी फंसती दिख रही हैं. सत्येंद्र जैन पहले से ही तिहाड़ जेल में बंद हैं. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की पार्टी के भी कई नेताओं के खिलाफ ईडी और सीबीआई के पास कई मामले हैं. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से भी ईडी की टीम पूछताछ कर चुकी है. विपक्षी दलों के 9 नेताओं ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया.
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने जुलाई 2022 में राज्यसभा में बताया था कि 2014 से 2022 तक ईडी ने अकेले 3010 रेड डाली. उन्होंने बताया था कि 2004 से 2014 तक जितनी रेड ईडी ने की थी, उससे 27 गुना अधिक छापे 2014 से 2022 के बीच डाले गए. 2004 से 2014 तक ईडी ने 111 आपरेशन चलाए तो 2014 के बाद जुलाई 2022 तक 3010 रेड डाली. ईडी ने इस अवधि में 99,356 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की तो 2004 से 2014 के बीच केवल 5346 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई थी. 2004 से 2014 के बीच ईडी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम यानी फेमा के उल्लंघन के 8586 मामलों की जांच की तो 2014 से 2022 के बीच यह संख्या 22,320 हो गई.
पीएम मोदी के देश की बागडोर संभालने के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ एजेंसियों का अभियान तेज हुआ है, इसमें कोई शक नहीं है. हालांकि विपक्षी दल आरोप लगाते रहते हैं कि बीजेपी के शासन में केवल विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई होती है और जो बीजेपी में शामिल हो जाता है या बीजेपी के साथ गठबंधन की सरकार बना लेता है, वो बच निकलता है. विपक्षी दल इसके लिए बीजेपी वाशिंग मशीन का जिक्र करते हैं. बीजेपी की सरकार में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, लालू प्रसाद यादव, सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया, के. कविता, संजय राउत, नवाब मलिक, हेमंत सोरेन, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, मीसा भारती आदि नेताओं पर शिकंजा कसता जा रहा है. लालू प्रसाद यादव तो कई मामलों में दोषी करार दिए गए.
इसमें कोई शक नहीं कि जांच एजेंसियों की कार्रवाई की जद में विपक्षी दलों के नेता सबसे ज्यादा रहे हैं. जुलाई 2014 से लेकर जुलाई 2022 तक ईडी ने 648 जगहों पर रेड डाली, जिनमें से 466 रेड वहां पड़ी जो सीधे तौर पर बीजेपी विरोधी माने जाते रहे हैं. सबसे अधिक रेड कांग्रेस और टीएमसी नेताओं के खिलाफ पड़े. कांग्रेस के 80 नेताओं के खिलाफ 8 साल में रेड डाली गई. दूसरे नंबर पर ममता बनर्जी की पार्टी रही, जिनके 14 नेताओं के खिलाफ छापेमार कार्रवाई हुई. महबूबा मुफती तीसरे नंबर पर रहीं, जिनकी पार्टी के नेता जांच एजेंसियों के दायरे में आए. अरविंद केजरीवाल चौथे नंबर पर रहे. उनकी पार्टी के 2 बड़े नेता तो अभी जेल में हैं. राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे का दावा है कि 9 साल में 95 प्रतिशत रेड विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ पड़े हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा कांग्रेस नेता शामिल हैं. लालू प्रसाद यादव की पार्टी पांचवें स्थान पर है.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के खिलाफ गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा, धन के लालच ने भ्रष्टाचार को कैंसर का रूप दे दिया है. धन कमाने की प्रवृत्ति से करप्शन फल फूल रहा है. संवैधानिक अदालतों का अपने नागरिकों के प्रति कर्तव्य है कि वे भ्रष्टाचार को बर्दाश्त न करें. अपराध करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का वक्त आ गया है. कोर्ट ने कहा कि पैसे के लालच में लोगों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में बाधाएं आ रही हैं. भ्रष्टाचार अब लाइलाज हो गया है. इसके लिए केवल शासन की गतिविधियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. इससे समाज के नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है. कोर्ट ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म के 7 पापों में लालच सबसे बड़ा पाप है.