अब दो गज दूरी भी नहीं रोक पाएगा संक्रमण! हवा में 10 मीटर तक Coronavirus ले जाता है एयरोसोल
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अब दो गज दूरी भी नहीं रोक पाएगा संक्रमण! हवा में 10 मीटर तक Coronavirus ले जाता है एयरोसोल

Coronavirus Taja Samachar: कोरोना वायरस संक्रमण के हवा में प्रसार की भी जानकारी सामने आ गयी है.

 

हवा में भी फैल सकता है कोरोना वायरस (फाइल फोटो)

Patna: कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण से बचने के लिए अब तक महज 2 गज दूरी पर्याप्त माना जा रहा था लेकिन अब ये धारणा बदलनी होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण के हवा में प्रसार की भी जानकारी सामने आ गयी है.

देश के प्रधान वैज्ञानिकों के सलाहकार मंडल ने इस बाबत नई एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में दावा किया गया है कि इस बात पर अमल करना अब जरूरी हो गया है.

क्या है नई एडवाइजरी
नई एडवाइजरी के मुताबिक कोरोना का संक्रमण हवा में 10 मीटर तक हो सकता है. देश के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के विजयराघवन की ओर से कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर नई एडवाइजरी जारी की गई है. एडवाइजरी के मुताबिक, संक्रमण से बचने के लिए महज 2 गज की दूरी ही काफी नहीं है. 

हवा में 10 मीटर तक वातावरण होता है प्रभावित 
अब तक ये माना जाता था कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के ड्रोप्लेट 2 मीटर तक ही जाते हैं, जबकि नए अध्ययन के मुताबिक ड्रोप्लेट फटने के बाद हवा में एयरोसोल या यूं कहें धूलकण के जरिए 10 मीटर तक के वातावरण को प्रभावित कर सकता है. इसके पीछे लासेंट अध्ययन का हवाला दिया गया है.

नई एडवाइजरी में सुरक्षा के क्या हैं उपाय
नई एडवाइजरी में लोगों को अपने आसपास वेंटिलेशन की समुचित व्यवस्था की सलाह दी गयी है. आफिस शॉपिंग सेंटर दुकानों में जहां भीड़ ज्यादा होती है वहां इसका ख्याल रखना होगा. खुले स्थान पर संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा. नए एडवाइजरी में बताया गया है कि कोरोना का वायरस संक्रमित शख्स के मुंह से निकलकर जमीन की सतह पर फैल जाता है.

वायरस प्लास्टिक कांच स्टेनलेस स्टील पर ज्यादा समय ठहरता है
सरकारी वैज्ञानिकों ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि कोरोना वायरस प्लास्टिक कांच स्टेनलेस स्टील पर ज्यादा समय तक सक्रिय रहता है. इसलिए सेनेटाइजेशन के साथ मास्क का इस्तेमाल और फिजिकल डिस्टेंसिंग जरूरी है. ऐसे में साफ है कि कोरोना से बचने के लिए दो गज दूरी की जो धारणा थी, अब उससे एक कदम आगे बढ़कर सोचने की जरूरत है.

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