पटना: आईएएस संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव पर गैंगरेप का आरोप लगाने वाली पीड़िता ने कहा कि संजीव हंस का डीएनए टेस्ट कराया जाए, तो उसके बेटे का पिता वही निकलेगा. उसने आरोप लगाया कि जब उसने मामला दर्ज कराया था, तब संजीव हंस अपने बेटे को नाम देने को तैयार थे, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने उसका केस खारिज कर दिया. अब पीड़िता ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है और अपने बेटे के लिए कानूनी अधिकार पाने की लड़ाई जारी रखी है.


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क्या है पूरा मामला
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार यह मामला तब और गंभीर हो गया जब इस आरोप की जांच के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े सबूत सामने आए. इससे ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की भी जांच शुरू हुई, जिसने कई ठिकानों पर छापेमारी की और लाखों रुपये की संपत्ति जब्त की. संजीव हंस और गुलाब यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है, जिसमें उनकी पत्नी और कई अन्य लोगों का नाम भी शामिल है.


गैंगरेप के बाद दी गई धमकी
पीड़िता का दावा है कि गैंगरेप के दौरान उसे जान से मारने की धमकी दी गई थी और उसका गर्भपात भी कराया गया था. इस केस में 2017 की घटना को 2021 में पटना के रूपसपुर थाने में दर्ज कराया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने 2024 में मामला खारिज कर दिया.


संजीव हंस ही है उसके बेटे का पिता: पीड़िता
अब पीड़िता अपने बेटे का डीएनए टेस्ट कराना चाहती है और कहती है कि वैज्ञानिक आधार पर संजीव हंस ही उसके बेटे का पिता है. उसका कहना है कि कोर्ट ने बिना सही जांच किए केस खारिज कर दिया और पुलिस रिपोर्ट को भी नहीं देखा. उसने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की मांग की है ताकि उसे और उसके बेटे को उनका अधिकार मिल सके.


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