Manish Kashyap:  तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के साथ हिंसा की झूठी खबर फैलाने के मामले में गिरफ्तार 'सन ऑफ बिहार' के नाम से मशहूर यूट्यूबर मनीष कश्यप की परेशानी कम ही नहीं हो रही है. मनीष कश्यप से एक तरफ ईओयू की पूछताछ जारी है. पहले 24 घंटे के रिमांड के बाद उसकी रिमांड की अवधी 4 दिन और बढ़ा दी गई है. वहीं बिहार पुलिस की तरफ से भी सख्ती से मनीष कश्यप से पूछताछ की गई है तो वहीं तमिलनाडु पुलिस यूट्यूबर को अपने साथ ले जाने के लिए इंतजार कर रही है. 


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मनीष कश्यप के खिलाफ एक नहीं बिहार और तमिलनाडु में कई मामले दर्ज हुए हैं. ऐसे में इन मामलों में दो-तीन को छोड़कर सभी नॉन बेलेबल हैं. कानून के जानकार मानते हैं कि मनीष कश्यप पर जिन-जिन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है उनमें से कुछ को छोड़ दें तो लगभग सभी धाराओं में उन्हें जमानत मिलना मुश्किल है. वहीं अगर मनीष कश्यप पर दोष सिद्ध हो जाता है तो उनके ऊपर जो धाराएं लगी हैं उनमें से 468 के तहत 5 से 7 साल तक की सजा और 505 (1) (बी) और 505 (1) (सी) के तहत तीन से 5 साल तक की सजा दी जा सकती है. जिसका कानून में प्रावधान है. ऐसे में दोषी सिद्ध होने पर मनीष कश्यप को 5 से 7 साल तक अधिकतम जेल में गुजारना पड़ सकता है. 


हालांकि जानकार मानते हैं कि मनीष कश्यप पर जिन-जिन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है उसमें जमानत के लिए भी उन्हें एक महीने तक जेल में रहना पड़ सकता है. क्योंकि उनके ऊपर लगी धाराओं में जिला जज से जमानत मिलने की उम्मीद कम ही है. जमानत के लिए उसे सेशन कोर्ट जाना होगा जहां उसे एक महीने से ज्यादा का वक्त भी जेल में गुजारना पड़ सकता है. वैसे मनीष कश्यप पर तमिलनाडु और बिहार में इतने केस दर्ज हैं कि अगर सभी मामलों में मनीष को दोषी ठहराया गया तो उन्हें जिंदगी भर जेल में गुजारना पड़ सकता है. मनीष कश्यप के खिलाफ केवल बेतिया में 7 मामले दर्ज हैं, पूरे बिहार में उसके खिलाफ 14 गंभीर मामले दर्ज हैं. वहीं तमिलनाडु में भी मनीष के खिलाफ 13 मामले दर्ज हैं.  


अब रहस्यों से भरी यूट्यूबर के जीवन कुंडली के बारे में जानिए
मनीष कश्यप को जानने वाले बताते हैं कि वह बचपन से ही काफी शरारती रहा है. पश्चिम चंपारण के महनवा डुमरी गांव का रहनेवाला यह लड़का आज पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है. मनीष को रिश्तेदारों की तरफ से सोशल मीडिया पर लिखा गया कि वह घर से बचपन में गायब हो गया था. तब उसका लंबे समय तक कोई अता-पता नहीं चला. वह इस लंबे समय में कहां रहा किसके संपर्क में रहा यह राज हीं है. फिर वह खुद घर लौट आया. फिर यहां आकर वह छात्र राजनीति करने लगे. उसके ऊपर मुकदमे हुए और वह जेल भी गया. मनीष कश्यप के परदादा स्वतंत्रता सेनानी थे और दादा एवं पिता फौज में रहे हैं. रिश्तेदार बताते हैं कि उसका सत्ता के खिलाफ संघर्ष और उशका बड़बोलापन उसे ले डूबा. 


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