जानिए अगस्त 2022 में कब मनेगी जन्माष्टमी, ये है तारीख और पूजा विधि
Janmashtmi 2022: जो श्रद्धालु जन्माष्टमी का व्रत रखने जा रहे हैं, वे अष्टमी से एक दिन पूर्व सप्तमी तिथि को हल्का और सात्विक भोजन करें. साथ ही ब्रह्मचर्य का भी पालन करें.
पटनाः Janmashtmi 2022: जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की जन्म तिथि के रूप में मनाया जाता है. भाद्रपद यानी कि भादों मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. वे आधी रात को मथुरा के कारागार में जन्में और रातों-रात ही नंद बाबा के घर गोकुल में पहुंचा दिए गए. इस बार जन्माष्टमी का व्रत 20 अगस्त को किया जाएगा. 20 अगस्त 2022 को अष्टमी तिथि है. जन्माष्टमी का व्रत अष्टमी तिथि के उपवास और पूजन से शुरू होता है और नवमी को पारण से इस व्रत का समापन होता है.
ऐसे करें व्रत
जो श्रद्धालु जन्माष्टमी का व्रत रखने जा रहे हैं, वे अष्टमी से एक दिन पूर्व सप्तमी तिथि को हल्का और सात्विक भोजन करें. साथ ही ब्रह्मचर्य का भी पालन करें. अगले दिन अष्टमी तिथि को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करें. आसान बैठा कर उत्तर या पूर्व मुख कर बैठ जाएं. सभी देवी देवताओं को प्रणाम करने के बाद हाथ में जल, फल और पुष्प लेकर अष्टमी तिथि को व्रत रखने का संकल्प लें. इसके बाद स्वयं के ऊपर काला तिल छिड़क कर माता देवकी के लिए एक प्रसूति घर का निर्माण करें. फिर इस प्रसूति गृह में बिस्तर कलश स्थापना करें. माता देवकी की स्तनपान कराती प्रतिमा भी रखें.
जन्माष्टमी व्रत नियम
इसके बाद देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम क्रमशः लेते हुए विधिवत पूजन करें. फलाहार के रूप में कट्टू के आटे की पूरी, मावे की बर्फी और सिंघारे के आटे का हलवा बनाया जाता है. जन्माष्टमी का व्रत एकादशी के व्रत की ही तरह रखा जाता है. इस दिन अन्न ग्रहण करना निषेध माना गया है. जन्माष्टमी का व्रत एक निश्चित अवधि में ही तोड़ा जाता है जिसे पारण मुहूर्त कहते हैं. जन्माष्टमी का पारण सूर्योदय के बाद अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद तोड़ा जाता है.
ऐसे होता है पारण मुहूर्त
अगर सूर्योदय के बाद इन दोनों में से एक भी मुहूर्त सूर्यास्त से पहले समाप्त नहीं होता है तो व्रत सूर्यास्त के बाद तोड़ा जाता है. ऐसी स्थिति में इन दोनों में से कोई भी एक मुहूर्त पहले समाप्त हो जाये, उसे ही जन्माष्टमी व्रत का पारण मुहूर्त माना जाता है. यही वजह है कि जन्माष्टमी का व्रत कभी कभी 02 दिनों के लिए भी रखना पड़ सकता है.
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