पटनाः Janmashtmi 2022: बात जन्माष्टमी और कृष्ण जन्म की हो और वहां खीरे का जिक्र न हो तो ऐसा नामुमकिन है. बिना खीरे के भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर खीरा बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यही वजह है कि जन्माष्टमी के दिन खीरे का दाम भी बढ़ जाता है. इस दिन विशेष तौर पर नार यानी कि लता से जुड़े खीरे की मांग बढ़ जाती है जो कि एक तरीके से दुर्लभ हो जाता है. कृष्ण जन्मोत्सव में खीरा क्यों जरूरी है, जानिए इसका कारण.


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लता में जुड़े खीरे का होता है प्रयोग
असल में, जितने भी लताओं वाले फल और सब्जियां होती हैं उन्हें पकने पर तोड़ना पड़ता है. लेकिन खीरा ही एक मात्र ऐसी सब्जि है जो पकने पर स्वयं अपनी लता छोड़ देती है. इस कारण भी इसका महत्व बढ़ जाता है. मान्यता है कि खीरे के उपयोगसे भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं. खीरा चढ़ाने से नंदलाल भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं. जन्माष्टमी की पूजा में डंठल और पत्ती लगे खीरे का उपयोग किया जाता है. बिना इसके श्रीकृष्ण के जन्म की प्रक्रिया नहीं हो सकती है.


नाल से अलग करने का है प्रतीक
बच्चे के पैदा होने पर गर्भनाल से बच्चे को अलग किया जाता है इसी रूप में खीरा, जिसे अपरिपक्व फल कहा जाता है इसे काटा जाता है. माहामृत्युंजय मंत्र में भी “उर्वारुक मिव” का जिक है. इसमें उर्वारूक का अर्थ खीरा होता है. यहां इसका अर्थ कष्टों से अलग होकर मुक्त हो जाने का अर्थ है. जिस तरह बच्चा गर्भनाल से अलग किया जाता है. उसी तरीके से प्र​तीक रूप में इसका उपयोग जाता है. ठीक उसी प्रकार से खीरे को काटकर डंठल से अलग किया जाता है. यह भगवान श्री कृष्ण को मां देवकी के गर्भ से निकालने का प्रतीक माना जाता है. इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है.