पटना: बिहार विधान सभा के एससी-एसटी कल्याण समिति की स्थल अध्ययन यात्रा दल ने आज मधेपुरा में अधिकारियों के साथ विकास कार्यों की समीक्षा बैठक की. अध्ययन यात्रा दल का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कर रहे थे, समिति के अन्य सदस्य के रूप में रजौली विधायक प्रकाश वीर,मासौढ़ी विधायक रेखा देवी आदि अन्य उपस्थित थे. समीक्षात्मक बैठक में सर्वप्रथम जिले में पदस्थापित अधिकारियों एवं सभी कर्मचारियों के स्वीकृत एवं रिक्त पदों के बारे में जानकारी प्राप्त की गई, एससी-एसटी लोक सेवकों के प्रतिनिधित्व के बारे में भी संख्यात्मक आकड़ा प्रस्तुत किया गया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


समीक्षा बैठक में बताया गया कि जिले में अब तक अत्याचार के कुल 656 मामले प्राप्त हैं इन सभी मामलों में 60 दिनों के अंदर आरोप पत्र समर्पित करने का प्रावधान भी है, जिसका हर हाल में अनुपालन सुनिश्चित किया जाए, राजस्व विभाग की समीक्षा के क्रम में बताया गया कि जिलें में 5095 महादलित परिवारों को बासगीत पर्चा दिया जाना है, जिसमें से 3964 परिवारों को बासगीत पर्चा निर्गत कर दिया गया है, शेष को यथाशीघ्र देने का निर्देश दिया जा चुका है. बैठक में डीडीसी नीतिन कुमार सिंह,एडीएम रविन्द्र नाथ प्रसाद सिंह,डीपीआरओ कुन्दन कुमार सिंह,डीटीओ चंदन कुमार, जिला कल्याण पदाधिकारी राम कृपाल प्रसाद,एनडीसी संजीव तिवारी एवं अन्य विभाग के पदाधिकारी मौजूद थे.


समीक्षा बैठक के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि बंगाल, बिहार समेत अन्य राज्यों में भी इस तरह की घटनाएं हुई है. ऐसे मामले में शामिल दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी हीं चाहिए. उन्होंने कहा कि इस घटना का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए,हालांकि उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री खुद कह चुके हैं कि इस पर कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि समीक्षा बैठक में विभिन्न विभागों के द्वारा आंकड़ा प्रस्तुत किया गया, लेकिन अभी भी बहुत सारी खामियां है. स्वास्थ्य विभाग में भी खामियां है जिसको दूर करने की बहुत जरूरत है. उन्होंने कहा कि कई महिलाओं ने शिकायत की है कि बासगीत पर्चा के अनुसार जमीन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है जो बेहद दुखद है. उन्होंने कहा कि एससी-एसटी परिवार को शव जलाने के लिए जमीन नहीं है यह बहुत ही चिंताजनक है. 


बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह हम सुप्रीमो जीतन राम ने पत्रकारों के सवाल पर एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए शराब बंदी कानून पर भी अपना सुझाव दिया कहा बिहार में एसपी डीएम और अन्य अधिकारी पीते शराब लेकिन उनकी जांच नहीं होती है. सिर्फ एक पाव पीने वाले गरीब तपके के लोगों पर हीं कार्रवाई होती है. उन्होंने कहा कि जो जेल में बंद है गरीब लोग उन्हें बाहर निकालने की जरूरत है जिससे न्यायालय का भार भी हल्का होगा .


इनपुट- शंकर कुमार


ये भी पढ़िए- बेगूसराय में लड़की को निर्वस्त्र कर पिटाई मामले में अपराधियों ने किया आत्मसमर्पण