पटनाः Neel Saraswati Puja: आगामी 26 जनवरी को देशभर में बसंत पंचमी भी मनाई जाएगी. मां सरस्वती की पूजा का यह खास पर्व सिद्धि प्राप्त करने का भी पर्व है. सृष्टि की जब उत्पत्ति हुई तब देवी सरस्वती ने इसे सुर देकर सरस बनाया. हम सभी श्वेत वस्त्रों वाली, सफेद हंस की सवारी वाली और श्वेत कमल पर बैठने वाली देवी सरस्वती को ही जानते हैं, लेकिन असल में देवी का एक गूढ़ स्वरूप भी है. इन्हें देवी नील सरस्वती कहा जाता है. जहां एक ओर देवी मां श्वेत सरस्वती ज्ञान की प्रतीक हैं और सहज ज्ञान की दायिनी हैं तो वहींउन्हीं का एक स्वरूप है नील सरस्वती.मान्यता है कि देवी नील सरस्वती, रहस्य विद्या, मायाजाल और इंद्रजाल की देवी हैं. 


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तंत्र की देवी हैं नील सरस्वती
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह भी मानते हैं कि संसार में जो योगमाया हैं वह भी उन्हीं का रूप हैं. कम ही लोग नील सरस्वती के पूजन के बारे में जानते होंगे. जहां एक ओर मां सरस्वती को सुर, ज्ञान और कला में निपुण माना जाता है, वहीं दूसरी ओर नील सरस्वती को धन-धान्य की देवी भी कहते हैं. बसंत पंचमी में देवी की विशेष पूजा की जाती है. देवी नील सरस्वती, कठिन साधकों सिद्धि, तांत्रिकों को तंत्र और शत्रु नाश की कामना करने वाले क्षत्रिय को रण में विजयी बनाती हैं. 


देवी का यह है मंत्र
देवी नील सरस्वती की दैहिक उत्पत्ति मां पार्वती से ही मानी गई है. भगवान सदाशिव ने देवी पार्वती को धन-संपन्न की अधिष्ठात्री देवी होने का वरदान दिया था. इससे उनके शरीर से एक तेज उत्पन्न हुआ और जिस कन्या शक्ति का अवतरण इसे पुंज से हुआ उसका रंग नीला पड़ गया. इसके बाद से ही उन्हें नील सरस्वती के नाम से जाना गया.


बसंत पंचमी के दिन आप नील सरस्वती देवी की सरल पूजा कर सकते हैं. आप इस मंत्र का पांच या 11 बार जाप करें और इस मंत्र को पढ़ते हुए हवन में आहुति भी दें. 
घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयंकरि।
भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्।


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