पटना: बिहार के हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए अच्छी खबर है. छात्र अब चाहे तो एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी माध्यम से कर सकेंगे. बिहार के मेडिकल कॉलेजों में छात्र नए सत्र में हिंदी माध्यम से पढ़ाई का विकल्प भी चुन सकेंगे और यहां हिंदी में भी पढ़ाई कराई जाएगी. इस बारे में स्वास्थ्य विभाग ने आदेश जारी कर दिया है.वहीं इसको लेकर आइजीआइएमएस के उप निदेशक डॉ विभूति सिन्हा का कहना है कि इससे हिंदी माध्यम से पढ़कर आये छात्रों को न सिर्फ फायदा होगा बल्कि उन्हें आने वाले समय में मरीजों के साथ भी यहां हिंदी में संवाद कर सकेंगे और उन्हें मेडिकल टर्म अच्छे से बता सकेंगे.


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स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी यह साफ़ कर चुके हैं कि मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में मेडिकल पाठ्यक्रम की पढाई हिंदी माध्यम से करने की व्यवस्था प्रभावी कर दी गयी है. जिसके बाद छात्र अपनी सुविधानुसार हिंदी और अंग्रेजी में से कोई भी विकल्प चुन सकते हैं. एमबीबीएस की पढाई कर रहे छात्रों का भी कहना है कि इससे हिंदी माध्यम के छात्रों को काफी सहूलियत होगी. बता दें कि बिहार में मेडिकल की पढाई हिंदी में कराये जाने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था और तीन सदस्यीय पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल का अध्ययन किया. जहां हिंदी में पढ़ाई होती है.


कमेटी की अनुशंसा के आधार पर तय किया गया कि बिहार में भी यह लागू किया जाये और ऐसा करने वाला बिहार दूसरा राज्य बन गया है. हालांकि आइजीआइएमएस के प्रिंसिपल डॉ रंजीत गुहा का कहना है कि इसमें कई चुनौतियाँ भी है लेकिन यह हिंदी भाषी छात्रों के लिए बढ़िया है और पढाई के दौरान न उनकी अंग्रेजी भी अच्छी हो जाएगी.


आइजीआइएमएस के प्रिंसिपल का कहना है कि व्यवहार में देखा जा रहा है कि हिंदी माध्यम से पढाई कर आने वाले छात्रों को शुरू में परेशानी का सामना करना पड़ता है और ऐसे में उनके लिए यह बढ़िया कदम है. नयी शिक्षा निति में भी यह प्रावधान किया गया है कि स्थानीय भाषा में पढाई पर जोड़ दिया जाए. साथ ही दिसंबर 2020 में एनडीए सरकार के गठन के बाद सात निश्चय पार्ट - 2 में यह निर्णय लिया गया था कि बिहार में तकनिकी शिक्षा हिंदी माध्यम से दिया जायेगा और उस कड़ी में यह महत्वपूर्ण कदम है.


इनपुट- रजनीश


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