Mulayam Singh Yadav funeral: अंतिम संस्कार में प्रयोग होगी डेढ़ कुंतल चंदन की लकड़ी, जानिए सैफई से पल-पल की अपडेट
Mulayam Singh Yadav funeral: सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार चंदन की लकड़ियों से किया जाएगा. इस दौरान कन्नौज के फूलों से उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी
पटनाः Mulayam Singh Yadav funeral: सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के अंतिम दर्शन के लिए समर्थकों और लोगों का हुजूम इटावा के सैफई के नुमाइश ग्राउंड पहुंच रहा है. उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. इससे पहले कई राजनेता भी पूर्व सीएम और पूर्व रक्षा मंत्री के अंतिम दर्शन के लिए मौके पहुंचे हुए हैं. मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार मंगलवार को ही दोपहर तीन बजे होगा. इससे पहले नुमाइश ग्राउंड पहुंचे शिवपाल यादव और प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव को श्रद्धाजंलि अर्पित की. इस दौरान रीता बहुगुणा जोशी और परिवार के लोगों ने भी श्रद्धांजलि दी.
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर को जब नुमाइश ग्राउंड पंडाल में ले जाया जा रहा था तो भी रास्ते में उनके दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था.
अंतिम संस्कार में चंदन की लकड़ियों का होगा प्रयोग
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार चंदन की लकड़ियों से किया जाएगा. इस दौरान कन्नौज के फूलों से उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी. इत्र नगरी से लकड़ियों और फूलों की खेप लेकर सपा नेता सैफई पहुंच गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक तिर्वा कस्बा निवासी और समाजवादी व्यापार सभा के पूर्व प्रदेश कोषाध्यक्ष अंशुल गुप्ता ने बताया कि उनके पास नेताजी के सैफई आवास से फोन आया था. इसके बाद उन्होंने अपने जनपद से डेढ़ क्विंटल चंदन की लकड़ियों का इंतजाम किया है. वे सोमवार शाम को सैफई पहुंच गए. साथ ही गुलाब और गेंदे के फूल भी भारी मात्रा में लेकर आए हैं. अंशुल के मुताबिक, नेताजी और अखिलेश दोनों का जनपद से काफी जुड़ाव रहा है. यहां से बड़ी संख्या में सपाई भी सैफई पहुंच रहे हैं.
ओपी राजभर भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे
सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि देने सैफई पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव एक बड़ी राजनीतिक हस्ती थे. नाम मुलायम था पर फैसले उनके कड़े होते थे. जो जवान शहीद होते रहे उन्हें सम्मान के साथ घर भेज कर अंत्येष्टि करने का फैसला केवल मुलायम सिंह यादव द्वारा ही लिया गया. मैं जब भी उनके पास बैठता था तो एक ही सीख वह देते थे कि संघर्ष करो और गरीब मजबूर की मदद करो. उनकी खासियत थी कि वह सभी नेताओं और उनसे जुड़े लोगों को एक बार में भी पहचान लिया करते थे.