Navratri Kaimur Dham: कैमूर का क्या है श्री दुर्गा सप्तशती से संबंध, जानिए कहां हुआ चंद-मुंड का वध
Navratri Kaimur Dham: कहते हैं कि चंड-मुंड के नाश के लिए जब देवी उद्यत हुई थीं तो चंड के विनाश के बाद मुंड युद्ध करते हुए इसी पहाड़ी में छिप गया था और यहीं पर माता ने उसका वध किया था.
पटनाः Navratri Kaimur Dham: शारदीय नवरात्र का पावन समय आने वाला है. माता के भक्त शेरोंवाली की पूजा के लिए उनके पवित्र धाम पहुंचेंगे. भारत में हर शहर माता के धाम विराजमान हैं. बिहार उनकी श्रद्धा और आस्था का प्रमुख केंद्र है. यहां के कैमूर जिले में स्थित है महामाई मुंडेश्वरी धाम. कहते हैं कि देवी मां ने युगों पहले यहीं पहाड़ी पर चण्ड मुंड नामके राक्षसों का वध किया था. बिहार के भभुआ जिला केद्र से चौदह किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है कैमूर की पहाड़ी. साढ़े छह सौ फीट की ऊंचाई वाली इस पहाड़ी पर माता मुंडेश्वरी एवं महामण्डलेश्वर महादेव का एक प्राचीन मंदिर है.
जानिए क्या है कथा
इस बारे में दुर्गासप्तशती में भी कथा आती है. कहते हैं कि चंड-मुंड के नाश के लिए जब देवी उद्यत हुई थीं तो चंड के विनाश के बाद मुंड युद्ध करते हुए इसी पहाड़ी में छिप गया था और यहीं पर माता ने उसका वध किया था. इसीलिए यहां देवी मुंडेश्वरी माता के नाम से स्थानीय लोगों में जानी जाती हैं. मुंडेश्वरी मंदिर की प्राचीनता का महत्व इस दृष्टि से और भी अधिक है कि यहाँ पर पूजा की परंपरा 1900 सालों से लगातार चली आ रही है और आज भी यह मंदिर पूरी तरह जीवंत है.
भारत का सबसे प्राचीन मंदिर
यह मंदिर भारत का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है. मंदिर परिसर में विद्यमान शिलालेखों से इसकी ऐतिहासिकता प्रमाणित होती है. 1838 से 1904 ई. के बीच कई ब्रिटिश विद्वान् व पर्यटक यहाँ आए थे. प्रसिद्ध इतिहासकार फ्राँसिस बुकनन भी यहाँ आये थे. मंदिर का एक शिलालेख कोलकाता के भारतीय संग्रहालय में है. पुरातत्वविदों के अनुसार यह शिलालेख 349 ई. से 636 ई. के बीच का है.
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