पटनाः Navratri Chandraghanta Puja Vidhi: नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है. इस दिन माता का यह स्वरूप हमें कोमलता के साथ-साथ आत्मविश्ववास भी देता है. घंटा ध्वनि मन में एक विश्वास जगाती है कि, आप में एक सकारात्मक शक्ति है. माता इसी सकारात्मक शक्ति का प्रतीक हैं और हम उपासना भी इसी सकारात्मकता के करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार दैत्यों और असुरों के साथ युद्ध में देवी ने घंटों की टंकार से असुरों का नाश कर दिया था. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ऐसा है मां का स्वरूप
इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा से सुख-संपदा मिलती है और जीवन आनंदित होता है. मान्यता है कि माता रानी का चंद्रघंटा स्वरूप भक्तों को निर्भय और सौम्य बनाता है. इनके गले में सफेद फूलों की माला सुशोभित रहती हैं. इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने वाली होती है. इनके घंटे की तरह भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव, दैत्य और राक्षस सदैव प्रकम्पित रहते है. दुष्टों का दमन और विनाश करने में सदैव तत्पर रहने के बाद भी इनका स्वरुप दर्शक और आराधक के लिए अत्यंत सौम्यता और शांति से परिपूर्ण रहता है. अतः भक्तों के कष्टों का निवारण ये शीघ्र ही कर देती हैं. इनका वाहन सिंह है अतः इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है. इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों की प्रेत-बाधादि से रक्षा करती है. इनका ध्यान करते ही शरणागत की रक्षा के लिए इस घंटे की ध्वनि निनादित हो उठती है.


मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है साधक का मन
इस दिन साधक का मन मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है और मां चंद्रघंटा की कृपा से उसे आलोकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं. मां चंद्रघंटा के भक्त और उपासक जहां भी जाते है लोग उन्हें देखकर शांति का अनुभव करते है. इनके साधक के शरीर से दिव्य प्रकाश युक्त परमाणुओं का अदृश्य विकिरण होता है. यह दिव्य क्रिया साधारण चक्षुओं से दिखाई नहीं देती, किंतु साधक व उसके संपर्क में आने वाले लोग इस बात का अनुभव करते हैं.


मां चंद्रघंटा पूजन विधि
नवरात्रि के शुभ दिनों में तीसरे दिन मां के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. नवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कड़े पहने जाते हैं. मंदिर को साफ-सफाई करने के बाद विधि-विधान से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की अराधना की जाती है. माना जाता है कि मां की अराधना ऊॅं देवी चंद्रघंटायै नमरूःका जप करके की जाती है. मां चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प आदि अर्पित करें और इस दिन दूध से बनी हुई मिठाई का भोग लगाने से मां जल्दी प्रसन्न होती है.


माता के लिए भोग
मां चंद्रघंटा को दूध से बनी चीजों का भोग लगाना होता है. मां को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है. पंचामृत, चीनी व मिश्री भी मां को अर्पित करनी होती है. मां के इस रूप की आराधना सुख और स्मृधी का प्रतीक है.


मां चंद्रघंटा के मंत्र-
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः


यह भी पढ़े- जानें बिहार में कहां होती है मां शक्ति के दो स्वरूपों की एक साथ पूजा, महाभारत काल से जुड़ी है कहानी