Bihar News: बिहार में 'गरीबी घटने' पर श्रेय लेने की मची होड़
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Bihar News: बिहार में 'गरीबी घटने' पर श्रेय लेने की मची होड़

बिहार में यह प्रतिशत 18.13 है. उन्होंने कहा कि गरीबी का जो राष्ट्रीय औसत दर है, उससे लगभग बिहार में दोगुना तेजी से गरीबी दर घटी है. बिहार के मंत्री बिजेंद्र यादव ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग की याद दिलाते हुए कहा कि हमें विशेष राज्य का दर्जा ना देकर 92 हजार करोड़ से अधिक की कटौती कर दी गई, यह कितनी बड़ी नाइंसाफी है.

Bihar News: बिहार में 'गरीबी घटने' पर श्रेय लेने की मची होड़

पटना:  बिहार में किसी भी मुद्दे पर सियासत होना नई बात नहीं है. अब नीति आयोग की गरीबी कम होने की रिपोर्ट आने के बाद क्रेडिट लेने की होड़ मची है. जदयू के नेता इसके लिए जहां राज्य सरकार की नीति को श्रेय दे रहे हैं तो भाजपा के नेता केंद्र सरकार के बिहार को दिए गए सहयोग को श्रेय दे रहे हैं. दरअसल, नीति आयोग द्वारा जारी बहुआयामी गरीबी सूचकांक के प्रतिवेदन के अनुसार बिहार राज्य ने गरीबी में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की है. वर्ष 2015-16 की तुलना में बिहार का गरीबी प्रतिशत 51.89 से घटकर वर्ष 2019-21 में 33.76 प्रतिशत हो गया है. इस प्रकार बिहार राज्य में 18.13 प्रतिशत गरीबी कम हुई है, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक कमी है.

बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में पिछले वर्षों में बिहार में काफी विकास के काम हुए. खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के काफी कार्य हुए, जिसके कारण गरीबी दर काफी घट गई यानी लोगों के गरीबी रेखा से ऊपर उठने का प्रतिशत बढ़ गया. उन्होंने कहा कि जो आंकड़े प्रकाशित हुए हैं उसके हिसाब से देश में औसत गरीबी दर घटने का प्रतिशत 9.89 है. बिहार में यह प्रतिशत 18.13 है. उन्होंने कहा कि गरीबी का जो राष्ट्रीय औसत दर है, उससे लगभग बिहार में दोगुना तेजी से गरीबी दर घटी है. बिहार के मंत्री बिजेंद्र यादव ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग की याद दिलाते हुए कहा कि हमें विशेष राज्य का दर्जा ना देकर 92 हजार करोड़ से अधिक की कटौती कर दी गई, यह कितनी बड़ी नाइंसाफी है.

भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि यूपीए के दस साल की तुलना में पिछले नौ साल में राज्य को 5 लाख 22 हजार 768 करोड़ रुपये ज्यादा मिले. यह और बात है कि नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति के चलते सात साल में राज्य को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के राजस्व से वंचित रहना पड़ा. केंद्रीय करों में हिस्से के रूप में भी बिहार को पिछली यूपीए सरकार की तुलना में 2 लाख 50 हजार 552 करोड़ रुपये अधिक प्राप्त हुए. उन्होंने कहा कि सहायता अनुदान (ग्रांट इन एड) के तौर पर बिहार को यूपीए के दस साल (2004-2014) की अपेक्षा एनडीए के नौ साल (2014-2023) में 1 लाख 81 हजार 216 करोड़ रुपये अधिक मिले. वित्त मंत्री विजय चौधरी और योजना मंत्री बिजेंद्र यादव बतायें कि विभिन्न मदों में अधिक धनराशि देने के साथ पीएम पैकेज भी देना बिहार की हकमारी कैसे है. उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी एक झटके में 32 से बढाकर 42 फीसदी कर दी. 10 फीसदी की वृद्धि से बिहार जैसे पिछड़े राज्य को सर्वाधिक लाभ हुआ.

इनपुट- आईएएनएस

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