Maa Katyayini Puja: नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है. यह माता का एक दिव्य और उज्ज्वल रूप है. मां कात्यायनी शेर पर सवार होती हैं और उनके चार हाथ होते हैं. दाहिनी ओर के ऊपरी हाथ में अभय मुद्रा है और निचला हाथ वर मुद्रा में होता है. बाईं ओर के ऊपरी हाथ में तलवार और निचले हाथ में कमल का फूल होता है. उनकी पूजा से विवाह में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं. इसलिए माता के इस स्वरूप की विशेष रूप से पूजा की जाती है.


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आचार्य मदन मोहन के अनुसार मां कात्यायनी का स्वरूप मां कात्यायनी का रूप बहुत ही उज्ज्वल और दिव्य है. उन्हें ब्रजमंडल की प्रमुख देवी भी माना जाता है. उनके चार हाथ हैं और उनका वाहन सिंह है. दाहिनी ओर का ऊपरी हाथ अभय मुद्रा में और निचला हाथ वर मुद्रा में होता है, जो आशीर्वाद और सुरक्षा का प्रतीक है. बाईं ओर के हाथों में तलवार और कमल का फूल होता है.


नवरात्रि के छठे दिन का शुभ मुहूर्त


  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:39 से 5:28 बजे तक

  • विजय मुहूर्त: दोपहर 2:06 से 2:53 बजे तक

  • निशिथ काल: रात 11:45 से 12:34 बजे तक

  • गोधूलि बेला: शाम 6:01 से 6:25 बजे तक

  • अमृत काल: सुबह 9:12 से 10:40 बजे तक


आचार्य के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा विधि मां कात्यायनी की पूजा के लिए सबसे पहले प्रातः स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा करने से पहले संकल्प लें. मां कात्यायनी को पीला रंग बहुत प्रिय है, इसलिए पीले वस्त्र पहनना और पीले फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है. पूजा के दौरान मां को अक्षत (चावल), रोली, कुमकुम, और पीले फूल अर्पित करें. इसके साथ ही भोग में मिठाई चढ़ाएं. अंत में माता की आरती करें और मंत्रों का जाप करें.


मां कात्यायनी मंत्र कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पतिं मे कुरु ते नमः॥


आचार्य के अनुसार इस मंत्र का जाप करने से माता की कृपा मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.


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