Patna: 31वीं न्यायिक अफसर नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने एग्जाम में उत्तीर्ण 214 सिविल जज (जूनियर डिवीजन)- सह- न्यायिक दंडाधिकारी को नोटिस जारी कर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दे दिया है. इसके अलावा इस मामले Patna HC ने BPSC से जवाब तलब किया है. जस्टिस पीबी बजनथ्री ऐवं जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने ऋषभ रंजन एवं अन्य की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किये हैं. 


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नियमों की गई है अनदेखी 


याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता शानू ने कोर्ट को बताया कि बिहार न्यायिक सेवा भर्ती नियमावली 1955 में नियमों की अनदेखी की गई है और आयोग ने ऐसे अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया था जिनका मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में न्यूनतम कट आफ अंक से 12 फीसदी कम था. इसके अलावा नियम आयोग को न्यूनतम कटआफ अंक में 5 प्रतिशत की छूट देने की अनुमति देता है, लेकिन इसके बाद आयोग ने कई आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यूनतम अंक में 12 प्रतिशत तक की छूट देकर इंटरव्यू में बुलाया है. 


याचिकाकर्ताओं ने ये भी आरोप लगाया है कि इंटरव्यू में उन अभ्यर्थियों को जिन्हें मेन एग्जाम में कट आफ से 12 प्रतिशत कम मिले है और उन्हें इंटरव्यू में  80 से 85 प्रतिशत मार्क देते हुए योग्य घोषित कर दिया गता है. इसके अलावा मेन एग्जाम में न्यूनतम कट आफ से 80 प्रतिशत अधिक अंक हासिल करें वाले अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में सिर्फ 10 से 30% मार्क्स देकर देकर अयोग्य घोषित कर दिया गया है.