Bihar News: ट्रामा सेंटर में चिकित्सकीय सुविधाओं की कमी को लेकर लोगों ने किया धरना प्रदर्शन, लगाए गंभीर आरोप
राजधानी पटना के बिक्रम नगर पंचायत अंतर्गत आसपुर नगर स्थित हाईवे ट्रामा सेंटर सह रेफरल अस्पताल साल 2001 में बनाया गया था. जिसमें अभी भी चिकित्सकीय सुविधाओं की भारी कमी है. जिसको लेकर जन आंदोलन शुरू किया गया है.
Patna: बिहार की राजधानी पटना के बिक्रम नगर पंचायत अंतर्गत आसपुर नगर स्थित हाईवे ट्रामा सेंटर सह रेफरल अस्पताल साल 2001 में बनाया गया था. जिसमें अभी भी चिकित्सकीय सुविधाओं की भारी कमी है. जिसको लेकर जन आंदोलन शुरू किया गया है. यह आंदोलन अनिश्चितकालीन के लिए शुरू किया गया है. गुरुवार के दिन ट्रामा सेंटर संघर्ष समिति द्वारा ट्रामा सेंटर भवन के सामने इस आंदोलन को लेकर लोगों ने धरना दिया.
2001 में हुआ था ट्रामा सेंटर का निर्माण
धरना स्थल पर आयोजित सभा की अध्यक्षता बनवारी सिंह, संचालन रामानंद तिवारी एवं धन्यवाद ज्ञापन भोला सिंह ने की. ट्रामा सेंटर संघर्ष समिति के अध्यक्ष बनवारी सिंह, सदस्य डॉक्टर श्याम नंदन शर्मा, हरिओम शर्मा आदी ने बताया कि नवम्बर 2001 में तत्कालीन बीजेपी सरकार के स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर सीपी ठाकुर ने बिक्रम में दुर्घटनाग्रस्त लोगों के त्वरित इलाज के लिए करोड़ों रुपये की राशि से बिक्रम नगर में हाइवे ट्रामा सेंटर सह रेफरल अस्पताल का भवन निर्माण कराया था और जरूरी उपकरण दिए गए थे. हालांकि आम लोगों को यह सुविधाएं 21 सालों के बाद भी नहीं मिली है.
नेताओं ने दिलाया था भरोसा
उन्होंने कहा कि जब भी चुनाव आता है तब विभिन्न दलों के नेता ट्रामा सेंटर में चिकित्सकीय सुविधा शुरू करने का भरोसा दिलाते हैं और उसके बाद भूल जाते हैं. उन्होने कहा कि पिछले वर्ष दीपक कुमार 6 दिनों के अनशन पर रहे और जेदयु के कदावर नेता उपेंद्र कुशवाहा ने मांग पूरी कराने का भरोसा दिलाकर अनशन तुड़वाया था. लेकिन उनके द्वारा भी किसी प्रकार की कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई.
अनिश्चितकालीन धरने का किया गया आयोजन
इस बार जन आंदोलन के माध्यम से अनिश्चितकालीन धरने के आयोजन किया गया है. जिसके माध्यम से चिकित्सकीय सुविधाओं को बहाल करने की मांग की गई है. वहीं धरना के पहले दिन स्वतंत्रता सेनानी पुत्र सह सेनानी अध्यक्ष श्याम बाबू गोप गुरुवार के दिन अनशन पर रहे. इस धरना में बिक्रम, दुल्हिनबाजार, पालीगंज,नौबतपुर सहित विभिन्न प्रखंडों के समाजसेवियों ने अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि जनता की गाढ़ी कमाई को भवन निर्माण एवं उपकरण में लगाकर बर्बाद करना उचित है ? क्या चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है ? उन्होने आगे कहा कि रुपयों को बर्बाद होते देख सरकार से हिसाब लेने का अधिकार क्या जनता को नहीं है ? आखिर किस मजबूरी में दो दशक की सरकारों ने चिकित्सकीय सुविधा बहाल नहीं की है.