Maharashtra Political Crisis: राज्यपाल ने 30 जून को उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा था. ऐसे में शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बहुमत का फैसला सदन में ही होगा. उधर, गुवाहाटी में ठहरे बागी विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे गोवा के लिए रवाना हो गए हैं.
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पटना/मुंबई: Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट की अगली कड़ी का इंतजार खत्म हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अहम आदेश दिया है. करीब 3:30 घंटे सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित सुना दिया है. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल यानी 30 जून को 11 बजे महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होगा. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए फ्लोर टेस्ट से पहले मुंबई पुलिस ने तैयारी पूरी कर ली है. डीसीपी और अन्य अफसर सुरक्षा में होंगे. शिवसेना के दो गुटों में टकराव की आशंका है. इसके मद्देनजर विधानसभा के बाहर कड़ी सुरक्षा होगी. बागी विधायक गुरुवार को मुंबई पहुंचेंगे.
राज्यपाल ने दिए थे आदेश
राज्यपाल ने 30 जून को उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा था. ऐसे में शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बहुमत का फैसला सदन में ही होगा. उधर, गुवाहाटी में ठहरे बागी विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे गोवा के लिए रवाना हो गए हैं. शिंदे ने ऐलान किया है कि वो 30 जून को मुंबई पहुंचेंगे. महाराष्ट्र में 30 जून को फ्लोर टेस्ट कराने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई शुरू हुई थी. शिवसेना की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस शुरू की थी. सिंघवी ने कहा, नेता विपक्ष रात को दस बजे राज्यपाल से मिलने गए और फिर कल 11 बजे के लिए फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया गया.
शक्तिपरीक्षण से रोका नहीं जा सकता- शिंदे गुट
सिंघवी ने कहा, ये सुपरसोनिक स्पीड से आदेश दिया गया. शिंदे गुट की ओर से वकील नीरज कौल ने सुप्रीम कोर्ट में बात रखी. उन्होंने कहा, शक्ति परीक्षण रोका नहीं जा सकता, हॉर्स ट्रेडिंग रोकने के लिए जल्द ही होना चाहिए. वहीं गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, पहले भी कई फैसले हैं, जिसमें 24 घंटे के अंदर गवर्नर ने शक्ति परीक्षण कराने के आदेश दिए हैं. वकील नीरज कौल ने कहा कि फ्लोर टेस्ट अयोग्यता के किसी लंबित मामले पर निर्भर नहीं करता है. जिस मुख्यमंत्री को बहुमत का भरोसा हो, वह फ्लोर टेस्ट का सामना करने के लिए तत्पर रहता है, लेकिन SC ने ही पहले के फैसलों में कहा है कि यदि मुख्यमंत्री अनिच्छुक दिखे, तो लगता है कि वह जानता है, वह हारने वाला है.
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