पटना: President Election 2022: देशभर में आज राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए वोटिंग की जा रही है. अब ऐसे में आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे की बिना हमारे मतदान के देश के सर्वोच्च पद के लिए चुनाव कैसे हो रहा है, तो आज हम आपके मन में उठ रहे तमाम सवालों का जवाब देने जा रहे हैं. 


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भारत में राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज करता है. इसमें जनता वोट नहीं करती बल्कि उनके वोट से चुने गए लोग राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करते हैं. इस चुनाव में देश के सभी राज्यों के विधानसभा में चुने गए सदस्य और लोकसभा तथा राज्यसभा में चुनकर आए सांसद वोट देते हैं. बता दें कि संसद में राष्ट्रपति की ओर से चुने गए सदस्य इस चुनाव में वोट नहीं डालते हैं. वहीं राज्यों के विधान परिषदों के सदस्य भी इस चुनाव में वोट नहीं डाल सकते है, ऐसा इसलिए क्योंकि वे जनता द्वारा चुने गए सदस्य नहीं होते. इसलिए इसे इनडायरेक्ट इलेक्शन भी कहा जाता है.


इलेक्टोरल कॉलेज कौन होते हैं शामिल
राष्ट्रपति चुनाव में वोट देने वाले सभी सदस्यों के वोट की एक कीमत होती है. इलेक्टोरल कॉलेज में 776 सदस्य संसद के और विधानसभा के सदस्य 4,809 शामिल होते हैं. कॉलेज में कुल 10,86,431 वोट होते हैं. संसद के हर सदस्य के वोट की कीमत 700 होती है. ये कीमत संसद के संबंधित राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होती है. वहीं हर राज्य के विधायकों के मतों की कीमत अलग-अलग होती है. 


विधायकों के वोट की वैल्यू कैसे निकालते हैं?
राज्यों के विधायकों के वोट की वैल्यू निकालने के लिए सबसे पहले उस राज्य की जनसंख्या को राज्य के विधानसभा सदस्यों की संख्या से डिवाइड किया जाता है. उसके बाद जो संख्या मिलती है उसे दोबारा 1000 से डिवाइड कर दिया जाता है. अंत में जो संख्या प्राप्त होती है उसी से उस राज्य के एक विधायक के वोट का अनुपात निकाला जाता है. 


सांसदों के वोट की वैल्यू
सांसदों के वोट की कीमत निकालने के लिए देश के सभी विधायकों की वैल्यू को लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की कुल संख्या से डिवाइड कर दिया जाता है. डिवाइड करने के बाद जो संख्या प्राप्त होती है वही एक सांसद के की वोच की कीमत होती है. डिवाइड करते समय शेष अगर 0.5 से ज्यादा रहता है तो सांसदों के वोट की वैल्यू में एक अंक का इजाफा होता है.


कैसे होती है वोटिंग?
राष्ट्रपति चुनाव में सिंगल ट्रांसफरेबल वोट का इस्तेमाल किया जाता है. यानि की हर वोटर सिर्फ एक ही वोट देना है. सभी कैंडिडेट्स में से वह अपनी प्रायॉरिटी तय कर देता है. वोटर को बताना होता है कि उसकी पहली पसंद कौन है और दूसरी, तीसरी कौन. बैलेट पेपर पर कोई इलेक्शन प्रतीक नहीं मौजूद होता. बैलेट पेपर पर दो कॉलम बने होते हैं पहले कॉलम में राष्ट्रपति प्रत्याशियों का नाम लिखा होता है. जब्कि दूसरे कॉलम में प्रत्याशियों का प्रिफरेंस ऑर्डर लिखा होता है. सांसदों और विधायकों को मतदान के लिए अलग-अलग रंग का मतपत्र दिया जाता है. मतदान के लिए सांसदों को हरे रंग और विधायकों को गुलाबी रंग मतपत्र दिया जाता है. इसके अलावा सभी को एक विशेष पेन भी दिया जाता है.


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