पटनाः बिहार में जन्मे रामविलास पासवान को सियासत का ऐसा बेताज बादशाह माना जाता था कि उन्हें आधुनिक राजनीति का 'मौसम वैज्ञानिक' तक कहा जाता था. पासवान महज 23 साल में विधायक बन गए थे और वह देश के छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके हैं. पिछले साल आठ अक्टूबर को वे दुनिया से विदा हो गये. अपने मिलनसार स्वभाव की वजह से वह हर सियासी खांचे में फिट बैठ जाते थे. देश की राजनीति के मौसम को समझकर अपना सटीक फैसला लेने वाले दिवंगत केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की आज 75 वीं जयंती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर हर कोई उनके प्रति अपने भाव ट्वीट कर उन्हें याद कर रहा है.


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बिहार में जन्मे थे दिव्यंगत केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान
केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान का जन्म पांच जुलाई 1946 में बिहार के खगड़िया जिले में हुआ था. परिवार में वह तीन भाइयों में सबसे बड़े थे. उन्होंने बिहार के प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास की और उसके बाद पुलिस विभाग में पुलिस उपाधीक्षक यानी डीएसपी के पद पर नियुक्ति मिली. लेकिन रामविलास पासवान को राजनीति में आना था और उसी साल डीएसपी की नौकरी छोड़ एमएलए के लिए चयन किया और विधायक बन गए.


23 साल की उम्र में राजनीति में रखा कदम
राम विलास पासवान ने महज 23 साल की उम्र में अलोली सीट से उपचुनाव संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की तरफ से लड़ा और कांग्रेस के बड़े नेता को शिक्सत दी. पासवान की इसी उपचुनाव से राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई. इसके बाद 1977 में उन्होंने ऐसा रिकार्ड बनाया जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गया. जानकारी के लिए बता दें कि उन्होंने हाजीपुर से 4.25 लाख वोटों से जीत हासिल की और अपना ही रिकॉर्ड उन्होंने 1989 में तोड़ दिया, जब 5.05 लाख वोटों से जीत हासिल की थी.


पासवान छह प्रधानमंत्रियों के साथ कर चुके है काम
जानकारी के लिए बता दें कि राजनीति में आने के बाद पासवान को केवल 1984 और 2009 में दो बार हार का मुंह देखना पड़ा है. भारतीय राजनीति में चार दशकों तक अहम भूमिका निभाने वाले रामविलास 9 बार सांसद रहे. वीपी सिंह से लेकर पीएम मोदी तक वह हर प्रधानमंत्री की कैबिनेट में मंत्री रहे. 1989 में नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में ही वह केवल मंत्री नहीं रहे. वह ऐसे एकमात्र नेता थे जिन्होंने 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर मंत्री पद संभाला है.


पासवान का लंबी बीमारी के चलते हुआ था निधन
बता दें कि रामविलास पासवान 2019 में अचानक बीमार हो गए. इलाज के चलते डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने को कहा था, जिसके चलते वह सक्रिय राजनीति से दूर होते चले गए. 8 अक्टूबर 2020 को लंबी बीमारी के चलते उनका दिल्ली में निधन हो गया. फिलहाल रामविलास पासवान की लोजपा में दोफाड़ हो चुके हैं और जिस भाई को उन्होंने बच्चे की तरह शिखर पर पहुंचाया, उसी ने आज पासवान के बेटे को हटाकर पार्टी पर कब्जा कर लिया है.


बेटे चिराग पासवान ने पिता को याद कर किया ट्वीट
रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने अपने पिता को याद करते हुए ट्वीट कर कहा कि हैप्पी बर्थडे पापाजी. आप की बहुत याद आती है, मैं आप को दिए वादे को पूरा करने की पूरी कोशिश कर रहा हूं. आप जहां कहीं भी हैं, मुझे इस कठिन परिस्तिथि में लड़ते देख आप भी दुखी होंगे. आप ही का बेटा हूं, मैं हार नहीं मानूंगा. मैं जनता हूं आपका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ है. लव यू पापाजी. 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर, रामविलास को किया याद
लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें याद किया. पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि आज मेरे दोस्त स्वर्गीय रामविलास पासवान जी की जयंती है. मुझे उनकी उपस्थिति की बहुत याद आती है. वो भारत के सबसे अनुभवी सांसदों और प्रशासकों में से एक थे. जन सेवा और दलितों को सशक्त बनाने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा.


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