Patna: आरजेडी में एक बार फिर हो हंगामा शुरू हो गया है. पार्टी द्वारा रघुवंश प्रसाद सिंह के अपमान का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब रामचंद्र पूर्वे (Ram Chandra Purve) के साथ भी अनदेखी की बात सामने आ रही है.
 
दरअसल, बिहार विधान परिषद (Bihar Vidhan Parishad) के लिए बनी समितियों के लिए आरजेडी ने रामचंद्र पूर्वे का नाम तक नहीं भेजा. जिस पर सियासत गर्मा गई. ऐसे में बीजेपी ने अब आरजेडी की नीतियों पर सवाल खड़े कर रही है.


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जानकारी के अनुसार, बिहार विधान परिषद ने हाल ही में अपनी 30 समितियों का गठन किया है. इन समितियों के लिए हर दल की तरफ से अपने एमएलसी के नाम विधान परिषद सचिवालय को दिये गये थे. लेकिन आरजेडी ने अपने एमएलसी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पूर्वे का नाम किसी भी कमेटी के लिए नामित नहीं किया. रामचन्द्र पूर्वे की जगह रामबली चन्द्रवंशी और मोहम्मद फारुख को आरजेडी के कोटे से कमेटी में भेजा गया है.


'RJD परिवार की पार्टी' 
वहीं, आरजेडी में सीनियर लीडरों की अनदेखी में पर सियासत भी तेज हो गयी है. बीजेपी ने आरजेडी की नीतियों पर सवाल खड़े किये हैं. मंत्री जनक राम ने कहा है कि RJD परिवार की पार्टी है. कांग्रेस के प्रभाव के कारण आरजेडी की सोच भी बदल गयी. ये लोग सिर्फ वोट को राजनीति करते हैं. लोहिया, कर्पूरी जैसी विचारधारा को अमल में लाने के लिए परिवार से ऊपर उठना होगा. 


'सरकार बनी तो मंत्री भी बनेंगे पूर्वे' 
इस मामले पर आरजेडी डिफेंसिव मोड में आ गयी है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा है कि रामचंद्र पूर्वे को पार्टी ने लगातार सम्मान दिया है. पूर्वे अध्यक्ष और मंत्री रहे हैं, आगे हमारी सरकार बनी तो फिर मंत्री बनेंगे. 


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पक रही सियासी खिचड़ी? 
अब आरजेडी के नेता भले ही मामले को अपने तरीके से हैंडल करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या पूर्वे आरजेडी में नाराज चल रहे हैं या फिर पार्टी ने उन्हें बिलकुल नजरअंदाज कर दिया है. अगर ऐसा हुआ है तो क्यों? क्या इसके पीछे भी कोई सियासी खिचड़ी पक रही है? हालांकि, पूरे मामले पर अब तक रामचंद्र पूर्वे का कोई बयान नहीं आया है.