पटना : बिहार में 6 साल से मैट्रिक परीक्षा का सर्टिफिकेट बिना कारण रोक कर रखने के मामले में पटना हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है. इसको लेकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पर पटना हाई कोर्ट की तरफ से 5 लाख रुपये का हर्जाना लगाया गया है. 


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रिट याचिका मंजूर करते हुए पटना हाईकोर्ट ने दिया ये फैसला 
न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने सरस्वती कुमारी की रिट याचिका मंजूर करते हुए यह आदेश दिया है. मामला नवादा के सिर्दला स्थित आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का है. जहां से याचिकाकर्ता ने छह साल पहले प्रथम श्रेणी से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण किया था. 


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बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से बार-बार मूल प्रमाणपत्र निर्गत करने की याचिकाकर्ता ने लगाई थी गुहार 
बता दें कि याचिकाकर्ता ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से बार-बार मूल प्रमाणपत्र निर्गत करने की गुहार लगाई थी, लेकिन इसके बाद भी याचिकाकर्ता को आज तक ना तो कोई जवाब मिला ना ही उनका मूल प्रमाणपत्र निर्गत किया गया है. इसलिए उसे हाईकोर्ट की शरण में आना पड़ा. कोर्ट ने जब बोर्ड से जवाब तलब किया तब जाकर बोर्ड ने मूल प्रमाणपत्र निर्गत कर दिया. 


मामला दर्ज होते ही बोर्ड ने निर्गत करा दिया प्रमाणपत्र
इसी को लेकर एकलपीठ ने कहा की भले ही प्रमाणपत्र बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने निर्गत कर दिया हो लेकिन छह साल जो याचिकाकर्ता के बर्बाद हुए उस पर कोर्ट अपनी आंखे नहीं मूंद सकती है. 


हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए बोर्ड पर लगाया 5 लाख रुपये का हर्जाना 
बोर्ड की गलती का खामियाजा याचिकाकर्ता द्वारा भुगतने पर हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए बोर्ड पर 5 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है. जिसकी राशि बोर्ड याचिकाकर्ता को देगी.