Sawan Purnima: आज सावन का आखिरी दिन, शिवजी और लक्ष्मी जी से मिलेगा ये वरदान
Sawan Purnima: पूर्णिमा तिथि चंद्र, देव, विष्णु जी, लक्ष्मी जी और इसके साथ ही शिव-पार्वती को भी खास तौर पर प्रिय तिथि है. सावन पूर्णिमा के दिन शिवजी की पूजा करने के साथ भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व भी मनाया जा रहा है.
पटनाः सावन मास का आज आखिरी दिन है, पूर्णिमा की इस तिथि के साथ ही सावन समाप्त हो जाएगा और फिर भादों का महीना शुरू होगा. हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत अधिक महत्व है. यह तिथि चंद्र, देव, विष्णु जी, लक्ष्मी जी और इसके साथ ही शिव-पार्वती को भी खास तौर पर प्रिय तिथि है. सावन पूर्णिमा के दिन शिवजी की पूजा करने के साथ भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व भी मनाया जा रहा है. सावन पूर्णिमा के दिन भगवान शिव के साथ, मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ चंद्रदेव की पूजा करने का विधान है. जानिए सावन पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
पूर्णिमा प्रारंभ- 11 अगस्त 2022, गुरुवार - प्रातः काल 10 बजकर 38 मिनट
श्रावण मास की पूर्णिमा- प्रातःकाल 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगी.
अभिजीत मुहूर्त- 11 अगस्त को दोपहर 12 बजे से लेकर 12 बजकर 53 मिनट तक
अमृत काल- शाम 6 बजकर 55 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगा.
इन तीनों की करें पूजा
पूर्णिमा पर चंद्रदेव 16 कलाओं के साथ दिखाई देते हैं. इसलिए चंद्रदेव की पूजा करने का विशेष महत्व है. शाम को चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को चांदी के लोटे से दूध अर्पित करना चाहिए. इस दौरान ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जप करें. सावन माह पूर्णिमा के साथ ही समाप्त हो जाएगा. इसलिए इस दिन भोलेनाथ का अभिषेक जरूर करें. शिवलिंग पर जल और दूध से अभिषेक करें. इसके साथ ही बेलपत्र चढ़ाएं. इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होगी.
पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा करें. इस दिन दोनों को पीले रंग के फूल और कौड़ियां चढ़ाएं. विधिवत तरीके से पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी.
माता लक्ष्मी के मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्ये नम:
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नम
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ
शिव स्तुति मंत्र
ओम् नमः शिवाय
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न काराय नम: शिवाय
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
जय-जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो
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