पटना : Shilpi Jain Murder Case: बिहार की ये 24 साल पुरानी मर्डर मिस्ट्री है जिसने बिहार में उस समय के जंगलराज होने के सारे सबूत एक साथ दे दिए थे. इस हत्याकांड के तार तब के सीएम के साथ सीधे जुड़ रहे थे. तब बिहार में राबड़ी देवी सत्ता की कुर्सी पर आसीन थी. उनके भाई और दबंग नेता साधु यादव का नाम इस केस के साथ जुड़ा था. इसपर राजनीतिक खेल कितना खतरनाक था कि उस समय शव के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने से पहले ही पुलिस ने इसे सुसाइड करार दे दिया था. इसके बाद 4.5 साल बीत जाने के बाद CBI भी इसी नतीजे पर पहुंची की यह हत्या नहीं आत्महत्या का मामला था. 


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बात 1999 की है. बिहार में तब राजद की सरकरा थी और सीएम की कुर्सी तब राबड़ी देवी संभाल रही थीं. ऐसे में पटना का एक NRI परिवार का लड़का गौतम सिंह जानता था कि ऐसे में बिहार में नेता बनना है तो साधु यादव के सहारे ही राजनीति में एंट्री मिल सकती है. उसका पूरा परिवार और पिता बीएन सिंह विदेश में रहते थे और वह अकेला यहां पटना में रहता था. साधु यादव से गौतम सिंह की अच्छा खासी जान पहचान थी. 


गौतम की दोस्ती पटना के एक बड़े कपड़ा कोराबारी उज्जवल जैन की बेची शिल्पी जैन से थी. वह पटना के वुमेंस कॉलेज की छात्रा थी. वह मिस पटना रह चुकी थी, उम्र वह भी केवल 23 साल. वह 3 जुलाई 1999 को कंप्यूटर क्लास के लिए अपने इंस्टीट्यूट रिक्शे से जा रही थी. रास्ते में उसे गौतम का एक दौस्त मिला और उसे छोड़ देने की बात कहा. वह रिक्श से उतरकर उस शख्स के साथ कार में बैठ गई. इसके बाद उस शख्स ने कहा कि वह उसे गेस्ट हाउस ले जा रहा है जहां गौतम है. वह गाड़ी लेकर वाल्मी गेस्ट हाउस पहुंचता है. गौतम को यह सूचना मिलती है तो वह भी वाल्मी गेस्ट हाउस पहुंचता है. क्योंकि गौतम भली भांती परिचित था कि यह गेस्ट हाउस अय्याशी का अड्डा है. 


अब यहां से कहानी जो भी है वह केवल सुनी सुनाई है. कहानियों की मानें तो गौतम जब वहां पहुंचता है तो देखता है कि शिल्पी के शरीर पर कपड़े नहीं है और वह रो रही है. गौतम उसे बचाने की कोशिश करता है. वहां मौजूद लोग उसे बुरी तरह पीटते हैं. शिल्पी के पिता इधर बेटी के घर वापस नहीं आने पर पुलिस के पास पहुंचते हैं. इसके बाद पुलिस को एक सूचना मिलती है और इसके आधार पर पुलिस राबड़ी देवी के भाई और बाहुबली विधासक साधु यादव के क्वार्टर पर पहुंचती है. वहां गैराज में गौतम की सफेद जैन कार उन्हें मिलती है जिसमें गौतम और शिल्पी की लाश पड़ी थी. गौतम ने केवल पैंट पहन रखा था और शिल्पी के शरीर पर उसकी टी-शर्ट थी, इसी बीच साधु यादव वहां अपने तमाम समर्थकों के साथ आ जाते हैं. 


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पुलिस दोनों की लाश को कार से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजती है और इधर इन दोनों की मौत को आत्महत्या करार दे देती है वह भी बिना रिपोर्ट आए. गाड़ी जिसमें दोनों की लाश मिलती है पुलिस के लोग उसे ड्राइव कर थाने ले जाते हैं जिसमें सारे सबूत मिट जाते हैं. फिर गौतम का अंतिम संस्कार रात में ही कर दिया जाता है. इसके बाद इस मामले पर राबड़ी देवी पर राजनीतिक और विपक्षी दबाव बढ़ता है तो वह इस केस को CBI को उसी साल सितंबर में सौंप देती है. 


फिर सीबीआई इश मामले की जांच शुरू करती है. पता चलता है कि मौत के पहले शिल्पी के साथ कई लोगों ने रेप किया था. शिल्पी के कपड़ो में भी सीमन के ट्रेसेस मिलते हैं. इसके बाद सीबीआई के अधिकारी डीएनए जांच के लिए साधु यादव का खून मांगते हैं लेकिन साफ इंकार कर दिया जाता है. इस डीएनए जांच को बाद में बंद कर दिया जाता है. सीबीआई 4.5 साल बाद इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट पेश करती है और उसमें दिखाया जाता है कि दोनों ने जहर खाकर आत्महत्या की थी. फिर प्रशांत के भाइ इस केस को सुप्रीम कोर्ट ले जाना चाहते हैं और 2006 में उनका अपहरण हो जाता है. दो दिन बाद वह वापस घर आता है और फिर कभी इसकी जांच की मांग नहीं करता. शिल्पी की मर्डर मिस्ट्री सत्ता के रसूख की वजह से न्याय में तब्दील नहीं हो पाई और यह केस आत्महत्या बनकर फाइलों में कैद हो गई.