बिहार के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी, आंकड़े जानकर हो जाएंगे हैरान
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बिहार के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी, आंकड़े जानकर हो जाएंगे हैरान

Bihar News: बिहार के 11 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के हजारों पद खाली हैं और छात्रों का भविष्य अधर में लटका है, क्योंकि दशकों से छात्र शिक्षक की बाट जोह रहे हैं. आलम ये है कि कॉलेजों में एडमिशन होता है और बिना कोर्स खत्म हुए हीं परीक्षा आ जाती है.

बिहार के यूनिवर्सिटी में शिक्षकों की कमी (फाइल फोटो)

Patna: बिहार के विश्वविद्यालयों (Bihar University) में लाखों छात्रों की पढ़ाई भगवान भरोसे है. कई पीढ़ियां सिर्फ इस बात का इंतजार करती रही कि कब उन्हें प्रोफेसर, लेक्चरर और अस्टिटेंट प्रोफेसर से पढ़ने का मौका मिलेगा लेकिन ये इंतजार कब खत्म होगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है. तमाम विश्वविद्यालयों में अस्टिटेंट प्रोफेसरों (Professor Post Vacancy) के पद खाली पड़े हैं. इन पदों को भरने के लिए अलग से आयोग बनाया गया लेकिन स्थापना के महीनों बीत जाने के बाद इसके जरिए सिर्फ तीन अस्टिटेंट प्रोफेसरों की ही नियुक्ति हो सकी है.

बिहार के 11 विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के हजारों पद खाली हैं और छात्रों का भविष्य अधर में लटका है, क्योंकि दशकों से छात्र शिक्षक की बाट जोह रहे हैं. आलम ये है कि कॉलेजों में एडमिशन होता है और बिना कोर्स खत्म हुए ही परीक्षा आ जाती है. 

इसके बाद, बिहार की परंपरागत यूनिवर्सिटी से निकलने वाले छात्रों का सामना जब देश की बड़ी यूनिवर्सिटी के छात्रों से होता है तो वहां, वे फिसड्डी साबित होते हैं. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय से लेकर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय तक इन सभी में शिक्षकों की भर्ती पिछले कई दशकों से नहीं हुई है.

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की स्थापना तीन साल पहले हुई थी लेकिन यहां कई ऐसे विभाग हैं जिनमें शिक्षक ही नहीं है. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में करीब 3 लाख छात्र पढ़ाई करते हैं. पाटलिपुत्र विवि के मीडिया प्रभारी बीके मंगलम बताते हैं, हमारे यहां 28 विषयों में 1 हजार 256 आवंटित अस्टिटेंट प्रोफेसर्स के पद हैं.  फरवरी-मार्च 2021 तक 794 शिक्षक ही काम कर रहे हैं। 462 पद खाली हैं.

करीब 60 फीसदी विषयों में शिक्षकों के पद खाली हैं
वहीं, पूरब का आक्सफोर्ड कहलाने वाले पटना विश्वविद्यालय की हालत तो और खराब है. आज भी देश का शायद ही कोई उच्च सरकारी संस्थान नहीं होगा जहां शीर्ष पर इस विश्वविद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र न हो. लेकिन शिक्षकों की मामलों में इसकी स्थिति तो और खराब है. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गिरिश कुमार चौधरी के मुताबिक, करीब 60 फीसदी विषयों में शिक्षकों के पद खाली हैं तो वहीं दूसरी ओर बिहार के बड़े महिला कॉलेज में शामिल मगध महिला कॉलेज में भी सालों से कोई भर्ती नहीं हुई है.

जानें किस यूनिवर्सिटी में कितनी पद है खाली
पटना विश्वविद्यालय, पटना में 274,पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय पटना में 462, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर में 603, एल एन मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा में 856, जेपी यूनिवर्सिटी छपरा में 319 बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा में 377, वीरकुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा में 428, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में 284, पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया में 213, मुंगेर विश्वविद्यालय में 245 और मगध विश्वविद्यालय गया में 381 शिक्षकों के पद खाली है.

राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की भी स्थापना की गई
हालांकि, शिक्षकों की कमी और उच्चशिक्षा से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की भी स्थापना की गई. लेकिन स्थापना के कई महीने बीत जाने के बाद इसके जरिए सिर्फ अंगिका के 3 अस्टिटेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति हो सकी है. वहीं, पुराण विषय के तीन में दो पद के लिए 27 जुलाई को इंटरव्यू होना है. सोचिए जिस आयोग को 4 हजार 638 अस्सिटेंट प्रोफसरों की बहाली करनी है वो सिर्फ 3 अस्सिटेंट प्रोफेसरों की बहाली कर सका है. सिर्फ अस्टिटेंट प्रोफेसरों की ही बहाली नहीं बल्कि सूबे में बड़े पैमाने पर एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की भी जगह खाली है.

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