पटना: बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर राज्य के उच्च शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन कर यहां के पुराने गौरव को बहाल करने की दिशा में लगातार काम करने में लगे हुए हैं. इसी कड़ी में राज्यपाल ने बड़ा लिया है. राज्यपाल ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को अपने स्तर पर पीएचडी पाठ्यक्रम में नामांकन के लिए पीएचडी पात्रता परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया है.राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने बिहार के सभी विश्वविद्यालय के कुलपतियों निर्देश देते हुए कहा कि प्रत्येक विषय में उपलब्ध रिक्त पीएचडी सीटों पर (रोस्टर लागू करके) 50% सीटें यूजीसी-नेट/यूजीसी-सीएसआईआर नेट/गेट/सीईईडी के लिए आरक्षित होंगी और शेष 50% सीटों को प्रत्येक विश्वविद्यालय अपने स्तर पर पीएचडी प्रवेश परीक्षा के माध्यम से भरेंगे.


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राज्यपाल ने कहा यदि किसी विषय विशेष में यूजीसी- नेट/यूजीसी-सीएसआईआर नेट/गेट/सीईईडी अर्हता के छात्र उपलब्ध नहीं होते हैं तो इस श्रेणी के रिक्त सीटों को पीएचडी प्रवेश परीक्षा के मेधा सूची के आधार पर आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए भरा जाए. प्रवेश की प्रक्रिया में यूजीसी और अन्य संबंधित वैधानिक/नियामक निकायों द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों/मानदंडों को ध्यान में रखते हुए केंद्र/राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए आरक्षण नीति का पालन करते हुए संस्थान द्वारा अधिसूचित मानदंडों का पालन किया जायेगा.


राज्यपाल ने विश्वविद्यालय परामर्शी समिति द्वारा की गई अनुशंसा के आलोक में सम्यक विचारोपरान्त यह आदेश दिया है. बता दें कि राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा था कि कि उनका लक्ष्य है कि अगले एक वर्ष के अंदर राज्य के सभी परीक्षा समयबद्ध हो जाए, यूनिवर्सिटी के माहौल से लेकर शिक्षकों की प्रोन्नति और आगे की योजनाओं पर वो लगातार काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा था कि मेरा लक्ष्य है कि बिहार का जो स्थान उच्च शिक्षा के क्षेत्र में था वह गौरव फिर से प्राप्त हो.


इनपुट- रजनीश


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