What Is Article 164: क्या डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को कैबिनेट विस्तार पर फैसला लेने का हक देता है संविधान?
बिहार में कैबिनेट विस्तार को लेकर सियासत गरम है. कैबिनेट विस्तार के बारे में मीडिया में अटकलबाजियों का बाजार भी गर्म है. रोजाना कभी कांग्रेस, कभी जेडीयू तो कभी राजद के नेता इसे लेकर बयानबाजी कर रहे हैं.
बिहार में कैबिनेट विस्तार को लेकर सियासत गरम है. कैबिनेट विस्तार के बारे में मीडिया में अटकलबाजियों का बाजार भी गर्म है. रोजाना कभी कांग्रेस, कभी जेडीयू तो कभी राजद के नेता इसे लेकर बयानबाजी कर रहे हैं. खासकर कांग्रेस की ओर से 2 और विधायकों को मंत्री बनाए जाने की मांग को लेकर जबर्दस्त राजनीति हो रही है. हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कैबिनेट विस्तार को लेकर पूछे गए सवाल को लेकर बयान दे दिया कि इस बारे में फैसला डिप्टी तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को करना है. उधर, तेजस्वी यादव ने कैबिनेट विस्तार (Bihar Cabinet Expansion) की खबरों को लेकर चुप्पी साध ली है. हालांकि उन्होंने कहा कि टीवी पर मांगने से कुछ नहीं मिलेगा. कुछ मांगना है तो बैठकर बात करनी होगी. खास बात यह है कि डिप्टी सीएम (Deputy CM) के बारे में संविधान (Indian Constitution) में कोई जिक्र ही नहीं है. उधर, राजनीति के जानकार इस दुविधा में पड़ गए हैं कि सीएम के होते हुए कैबिनेट विस्तार पर फैसला डिप्टी सीएम कैसे ले सकते हैं. आइए, जानते हैं इस बारे में संविधान क्या कहता है—
क्या कहता है संविधान का आर्टिकल 164?
संविधान के अनुच्छेद 164 में मुख्यमंत्री और मंत्रियों की नियुक्ति के बारे में बताया गया है. अनुच्छेद 164 कहता है कि राज्यपाल को राजकाज में परामर्श देने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिपरिषद होगा. इस अनुच्छेद के अनुसार, मंत्री तभी तक अपने पद पर बना रह सकेगा, जब तक कि मुख्यमंत्री उसे हटाने की सिफारिश राज्यपाल से नहीं कर देते. इसका मतलब यह हुआ कि मंत्री की नियुक्ति से लेकर पद से हटाने तक मुख्यमंत्री की अहम भूमिका है और बिना मुख्यमंत्री की मर्जी के न कोई मंत्री बन सकता है और न ही किसी मंत्री को पद से हटाया जा सकता है.
नीतीश ने तेजस्वी के पाले में डाली गेंद
दरअसल, बिहार में जो महागठबंधन की सरकार चल रही है, उसमें कांग्रेस भी शामिल है लेकिन वह संख्याबल के आधार पर 2 और विधायकों को मंत्री बनाए जाने की मांग कर रही है. पिछले महीने जनवरी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं कांग्रेस की ओर से और मंत्री बनाए जाने की बात कही थी लेकिन माना जा रहा है कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इसमें अड़ंगा लगा दिया था. इसलिए कैबिनेट विस्तार के बारे में जब नीतीश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने गेंद तेजस्वी यादव के पाले में डाल दी. पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए नीतीश कुमार ने कहा, कैबिनेट विस्तार के बारे में उनसे (डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से) पूछिए.
नीतीश कुमार पर उठ रहे सवाल
नीतीश कुमार के इस तरह के जवाब से कांग्रेस को समझ में नहीं आ रहा है कि वह कैबिनेट विस्तार के बारे में किससे बात करे, क्योंकि तेजस्वी यादव इस बारे में अपनी मंशा स्पष्ट कर चुके हैं. अब कांग्रेस का कहना है कि तेजस्वी यादव कौन होते हैं कैबिनेट विस्तार का फैसला करने वाले, सरकार तो नीतीश कुमार चला रहे हैं. उधर, केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि किसी भी राज्य में मंत्री बनाने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है लेकिन नीतीश कुमार को अब वह अधिकार भी नहीं रहा. अब वे बहुत बेसहारा हो गए हैं. मंत्री बनाने का फैसला भी तेजस्वी यादव को ही लेना है. इसका मतलब यह हुआ कि वे डिप्टी सीएम होकर भी सीएम का काम कर रहे हैं.
क्या तेजस्वी पर अपनी जिम्मेदारी डाल रहे?
हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार सोच समझकर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को आगे कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उन्हें अभी देशभ्रमण पर निकलना है. उस दौरान बिहार का राजकाज तेजस्वी यादव के हवाले ही रहेगा. वैसे भी नीतीश कुमार ने 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़े जाने का ऐलान कर दिया है. जानकार बताते हैं कि कैबिनेट विस्तार को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देकर नीतीश कुमार ने न कोई खीझ जाहिर की है और न ही कोई भूल की है. बल्कि यह एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है. कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि नीतीश कुमार धीरे धीरे अपनी जिम्मेदारी तेजस्वी यादव के कंधों पर डाल रहे हैं. हालांकि इन सब वजहों से नीतीश कुमार अपनी ही पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा के सीधे निशाने पर हैं.