भजन-कीर्तन में हम क्यों बजाते हैं ताली? अगर जान गए तो आप भी हो जाएंगे शुरू
Tali Kyo Bajate Hain: आम तौर पर आपने देखा होगा कि जहां कहीं भी भजन-कीर्तन होता है, लोग झूम-झूमकर ताली बजाने लगते हैं. बहुत लोगों को नहीं पता होगा कि हम ताली क्यों बजाते हैं.
अकसर आपने देखा होगा, जहां कही भी भजन या कीर्तन होता है तो लोग खूब ताली बजाते हैं. मंच से गायक या मंच संचालक भी भीड़ से अपील करते दिखते हैं कि भोले के दरबार में, माता की चौकी में या बजरंग बली के लिए तालियां रुकनी नहीं चाहिए. ताली बजाने वालों को ही नहीं पता होगा कि हम ताली क्यों बजा रहे हैं. ऐसा हम इसलिए करते हैं कि हम अपने बड़ों और पूर्वजों को ऐसा करते देखते आ रहे हैं. आज हम आपको आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों विधियों से ताली बजाने के फायदे के बारे में बताएंगे.
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ताली को दुनिया का सबसे सरल योग बताया गया है और कहते हैं कि यदि रोजाना ताली बताई जाए तो कई शारीरिक समस्याओं को सुलझाया जा सकता है. अगर आप रोजाना 2 मिनट ताली बजाते हैं तो आपको किसी हठयोग या आसनों की जरूरत नहीं पड़ेगी, ऐसा माना जाता है.
अगर इसको आध्यात्मिक मान्यता के हिसाब से देखें तो दोनों हाथ उपर करके ताली बजाते हैं तो माना जाता है कि हम ईश्वर की शरण में हैं और हमारे पाप धुल जाते हैं. यह भी कहा जाता है कि दोनों हाथ उपर की ओर करके ताली बजाने से हमारे हाथ की रेखाएं तक बदल जाती हैं.
उसी तरह वैज्ञानिक हिसाब से इसको देखा जाए तो एक्यूप्रेशर की थ्योरी के अनुसार, मानव हाथों में पूरे शरीर के अंगों के दबाव बिंदु होते हैं. इन बिंदुओं को दबाने से संबंधित अंग तक खून और आक्सीजन का प्रवाह होता है और उस अंग में अगर कोई विकार होता है तो वह दुरुस्त हो जाता है. इन दबाव बिंदुओं को दबाने का सबसे आसान उपाय है ताली बजाना.
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आयुर्वेद के डॉक्टर कपिल त्यागी के अनुसार, ताली इस तरह से बजाया जाता है कि दबाव पूरा हो और अच्छी आवाज निकले. ताली बजाने से बाई हथेली के फेफड़े, लीवर, पित्ताशय, किडनी, छोटी आंत और बड़ी आंत के अलावा दाएं हाथ की अंगुली के साइनस के दबाव बिंदु प्रभावित होते हैं. इन अंगों से खून का प्रवाह तीव्र हो जाता है. ताली तब तक बजाया जाना चाहिए, जब तक कि हथेली लाल न हो जाए. ऐसा करने से कब्ज, एसिडिटी, मूत्र, खून की कमी और सांस में तकलीफ जैसी बीमारियों में लाभ मिल सकता है.