पटनाः Guru Purnima: आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. सनातन परंपरा में यह दिन गुरु पूजा के लिए समर्पित है. पुरातन काल में इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा किया करते थे और यह दिन विद्यारंभ करने के लिए पावन दिन होता था. इसके अलावा जिन विद्यार्थियों की शिक्षा पूरी हो जाती थी उनका दीक्षांत समारोह भी इसी दिन आयोजित किया जाता था. शिष्य अपनी दीक्षा पूरी करके गुरु को गुरु दक्षिणा दिया करता था. इस बार गुरु पूर्णिंमा 13 जुलाई 2022 दिन बुधवार को है. 


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जानिए क्या है गुरु पूर्णिमा का महत्व
माना जाता है कि गुरु पूर्णिमा के ही दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. उन्हीं के नाम पर इस दिन को व्यास पूर्णिमा के तौर पर भी जाना जाता है. महा ऋषि व्यास का स्थान सभी गुरुओं और महर्षियों में सबसे ऊपर है. उन्होंने महाभारत लिखने और भगवद गीता के संकलन का कार्य तो किया ही है, साथ ही उन्होंने वेदों का विभाजन कर उपनिषदों और ब्राह्मण ग्रंथों का भी संकलन किया है. सनातन धर्म में महर्षि वेदव्यास को प्रथम गुरु का स्थान प्राप्त है. यह माना जाता है कि सबसे पहले मनुष्य जाति को वेदों की शिक्षा उन्होंने ही दी थी. गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष तौर पर महर्षि वेदव्यास की पूजा होती है.


ऐसे करें गुरु पूर्णिमा की पूजा 
गुरु पूर्णिमा की पूजा के लिए इस दिन सुबह जल्दी उठें और घर की साफ-सफाई करें. स्नान करके फिर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूजा का संकल्प लें और एक साफ-सुथरी जगह पर एक सफेद वस्त्र बिछाकर व्यास पीठ का निर्माण करें. इसके बाद गुरु व्यास की प्रतिमा उस पर स्थापित करें और उन्हें रोली, चंदन, पुष्प, फल और प्रसाद अर्पित करें. गुरु व्यास के साथ-साथ शुक्रदेव और शंकराचार्य आदि गुरुओं का भी आवाहन करें और ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’ मंत्र का जाप करें.


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