Niobium Alloy: दुनिया की हर सबसे तेज चीज अब शायद चीन के पास होगी! वैज्ञानिकों के हाथ लगा ऐसा 'जादू'
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Niobium Alloy: दुनिया की हर सबसे तेज चीज अब शायद चीन के पास होगी! वैज्ञानिकों के हाथ लगा ऐसा 'जादू'

Science News in Hindi: चीन के वैज्ञानिकों ने एक क्रांतिकारी नाइओबियम अलॉय विकसित किया है जो 1700 डिग्री सेल्सियस डिग्री तक का तापमान झेल सकता है. यह कामयाबी एयरोस्पेस तकनीक का भविष्य बदल सकती है.

Niobium Alloy: दुनिया की हर सबसे तेज चीज अब शायद चीन के पास होगी! वैज्ञानिकों के हाथ लगा ऐसा 'जादू'

Science News: चीनी वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में बहुत बड़ी कामयाबी हासिल की है. उन्होंने लगभग तीन साल तक तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन पर प्रयोग किए. अब चीन ने एक नई नायोबियम एलॉय विकसित करने मे सफलता पाई है, जो 1700 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान सहन कर सकती है. यह मिश्र धातु हाइपरसोनिक उड़ानों के लिए हल्के और कहीं अधिक कुशल इंजनों को बनाने में काम आएगी. यह ऐसी उपलब्धि है जो एयरोस्पेस और सैन्य प्रौद्योगिकी में क्रांति ला सकती है.

नायोबियम-सिलिकॉन एलॉय पर अंतरिक्ष में क्रांतिकारी प्रयोग

तीन साल से अधिक समय तक, तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन पर चीन के अंतरिक्ष यात्री एक खास प्रयोग करते रहे. वैक्यूम चैंबर में निलंबित एलॉय कणों पर लेजर का इस्तेमाल करके उनके ठंडा होने पर होने वाले छोटे बदलावों की स्टडी की गई. इस लंबे प्रयोग के दौरान उपकरण और नमूने तीन बार बदले गए, लेकिन इसके नतीजे क्रांतिकारी साबित हुए.

क्यों इतनी बड़ी है यह उपलब्धि?

पृथ्वी पर वैज्ञानिकों ने स्पेस स्टेशन पर जुटाए गए डेटा की मदद से पहली बार इंडस्ट्रियल जरूरतों को पूरा करने वाले नायोबियम-सिलिकॉन एलॉय को बनाने में कामयाबी हासिल की. यह एलॉय एयरोस्पेस तकनीक में क्रांति ला सकता है. इससे बने टर्बोफैन इंजन ब्लेड 1,700 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान सहन कर सकते हैं. यह निकेल और टाइटेनियम एलॉय से हल्का और तीन गुना अधिक तापमान पर भी मजबूत है, जिससे इंजन की गति और दक्षता में इजाफा तय है.

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अभी तक क्या परेशानी थी?

नायोबियम की धीमी क्रिस्टल वृद्धि दर और कमरे के तापमान पर brittleness (भंगुरता) ने इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन को कठिन बना दिया था. इसे 1,600 डिग्री सेल्सियस पर 100 घंटे तक क्रिस्टल बनने में लगते हैं, और यह फैक्ट्री की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता. लेकिन चीनी वैज्ञानिक वेई बिंगबो और उनकी टीम ने इन मुश्किलों को दूर कर दिया. उन्होंने एक नई रैपिड-कूलिंग तकनीक का यूज करके 9 सेमी/सेकंड की गति से हाई क्वालिटी वाले नायोबियम-सिलिकॉन क्रिस्टल बनाए. साथ ही, हाफनियम की थोड़ी मात्रा मिलाकर एलॉय की कमरे के तापमान पर ताकत तीन गुना बढ़ा दी.

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अलग-थलग होने के बावजूद कामयाब हुआ चीन

नॉर्थवेस्टर्न पॉलिटेक्निकल यूनिवर्सिटी की टीम की यह रिसर्च Acta Physica Sinica में छपी है. चीनी सरकार और सैन्य समर्थन से 2021 से इस टीम को तियांगोंग स्टेशन पर काम करने का मौका मिला. चीन यह प्रयोग इसलिए कर सका क्योंकि उसके पास अपना स्पेस स्टेशन है. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर मिलिट्री रिसर्च की इजाजत नहीं है. अमेरिका ने 1990 के दशक में चीन की ISS में भागीदारी के आवेदन को खारिज कर दिया था.

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