What is Muretha: बिहार में किसी कार्यक्रम के दौरान अकसर लोग पगड़ी (मुरेठा) बांधते हैं. यह गमछे के तौर पर पारंपरिक कपड़ा है, जिसे बिहार में आम तौर पर पहना जाता है. यह कई उद्देश्यों को पूरा करता है. मुरेठा को क्षेत्र और सांस्कृतिक प्रथाओं के आधार पर कई तरीकों से पहना जाता है. बिहार में कंधे पर गमछा पहनना एक आम प्रथा है. इसे बिहार के लोग जब चाहते हैं पगड़ी (मुरेठा) के तौर पर भी इस्तेमाल कर लेते हैं. इसका सांस्कृतिक महत्व भी है. इसके पीछे के महत्व और कहानी के बारे यहां इस ऑर्किटल में बताया गया है.


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मान्यता
बिहार में लोगों का मानना ​​है कि मुरेठा (एक छोटी, रंगीन, सजावटी गांठ) बांधने से जीवन में सौभाग्य लाया जा सकता है. लोग पगड़ी (मुरेठा) को अपने मान सम्मान से जोड़ते हैं. 


कहानी
स्थानीय लोगों के अनुसार, पगड़ी (मुरेठा) का इस्तेमाल मूल रूप से एक राजा ने अपने राज्य को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए किया था. उसने सीमा पर एक गांठ बांध दी, जिसने चमत्कारिक ढंग से दुश्मन को खदेड़ दिया. तभी से लोग मुरेठा को सुरक्षा और सौभाग्य के प्रतीक के रूप में बांधते आ रहे हैं.


कार्यक्रम
शादियों, त्योहारों या नई शुरुआत जैसे विशेष अवसरों के दौरान लोग अपने सिर पर मुरेठा बांधते हैं. ऐसा माना जाता है कि यह पॉजिटिव एनर्जी को आकर्षित करता है और नेगेटिविटी एनर्जी को दूर रखता है. खुद में आत्म विश्वास भरता है.


महत्व 
मुरेठा बिहार की सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है, जो राज्य के समृद्ध इतिहास और मान्यताओं का प्रतिनिधित्व करता है.


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क्या होता है मुरेठा, जानिए


जब साफे को मरोड़ कर सिर पर बांधा जाता है और अन्त में एक ओर (अधिकतर कनपटी के ऊपर दायीं तरफ) गांठ लगा कर कस दिया जाता है, तो इसे मुरेठा कहते हैं. कृपया ध्यान दें कि मुरेठा के पीछे की कहानी अलग-अलग क्षेत्रों और समुदायों में भिन्न हो सकती है, लेकिन सौभाग्य के प्रतीक के रूप में इसका महत्व एक आम बात है.