Ranchi Rajmahal Hills: रांची की राजमहल पहाड़ियों में कई रहस्य छिपे हुए हैं. कार्बन डेटिंग से यह साबित हो चुका है कि ये पहाड़ियां बेहद प्राचीन हैं. यहां मिले जीवाश्मों पर देश-विदेश के वैज्ञानिक खोज कर रहे हैं.
झारखंड के जरमुंडी प्रखंड के झनकपुर पंचायत के बरमसिया में घाघाजोर नदी के किनारे एक चट्टान पर आदिमानव के पदचिह्न पाए गए है. एक दावे के अनुसार, इन पदचिह्नों से ऐसा लगता है कि कभी आदिमानव इस इलाके में रहते थे और उनके कदमों के निशान यहां की चट्टानों पर बने रह गए.
प्रलय के कारण सब कुछ खत्म हो गया, लेकिन राजमहल की पहाड़ियों में इन जीवाश्मों के रूप में उनके निशान आज भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं. लोगों का मानना है कि ये पदचिन्ह 30 करोड़ साल से भी पुराने हो सकते हैं और आदिमानव की लंबाई 10 से 14 फीट तक रही होगी.
राजमहल की पहाड़ियां 2600 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई हैं. जुरासिक काल के फॉसिल्स को सबसे पहले प्रो. बीरबल साहनी ने खोजा था, जो भारतीय पुरा-वनस्पति विज्ञान के जनक माने जाते हैं. वे 1935 से 1945 के बीच कई बार यहां आए और फॉसिल्स पर रिसर्च की.
नेशनल बॉटेनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम ने ढाई साल पहले झारखंड के दूधकोल में फॉसिल्स की खोज की. इनमें जुरासिक काल के पेड़ों की पत्तियों की छाप मिली है. जो 150 से 200 मिलियन साल पुरानी हो सकती है.
झारखंड सरकार ने इन फॉसिल्स को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. जैसे कि साहेबगज के मंडरो में 16 करोड़ की लागत से फॉसिल्स पार्क का निर्माण कराना.