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Independence Day 2024: 10 महिला स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने देश को आजाद कराने में निभाई अहम भूमिका

Women Freedom Fighters: देश में हर साल के तरह इस साल भी स्वतंत्रता दिवस को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है. 144 करोड़ की जनसंख्या वाले देश भारत में क्या बच्चे, क्या बूढ़े और क्या नौजवान हर किसी में एक ही जैसा देश प्रेम का भाव देखा जा रहा है. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लोग राष्ट्र ध्वज तिरंगा को फहराते हुए राष्ट्र गान करते है. देश को आजाद कराने वाले भारत मां के वीर सपूतों को याद करते हैं, उन्हें नमन करते हुए श्रद्धांजलि देते हैं. अंग्रेजी हुकूमत से देश को स्वतंत्र कराने में देश के वीर सपूतों के साथ भारत मां की बेटियों ने भी बहुत अहम भूमिका निभाई है. 

Female Freedom Fighters

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Female Freedom Fighters

देश इस साल 78 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. 144 करोड़ भारतवासी देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर उन्हें नमन करते हुए श्रद्धांजलि दे रहा है. भारत मां को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने बहुत अहम भूमिका निभाई थी. जिन्हें शायद ये देश और आप भूल गए हैं. यहां उन 10 महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जान लें. 

 

Kalpana Datta

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Kalpana Datta

कल्पना दत्त उन महिला स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं, जिन्होंने मात्र 14 साल की उम्र में आजादी की लड़ाई में अपनी भागीदारी दी थी. ये सूर्यसेन द्वारा स्थापित हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी की सक्रिय सदस्य थी. उन्होंने इंकलाबी भाषण से देशवासियों के बीच अपनी पहचान बनाई थी. 

Bhikaiji Cama

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Bhikaiji Cama

भीखाजी कामा भारतीय मूल की पारसिक नागरिक थी. जिन्होंने देश को स्वतंत्र कराने में अपनी भागीदारी दी थी. उन्होंने देश की अनाथ लड़कियों के लिए बहुत काम किया था. साल 1907 में भीखाजी कामा ने जर्मनी के स्टटगार्ट में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में तिरंगे को फहराया था. भीखाजी कामा का पूरा नाम श्रीमती भीखाजी जी रुस्तम कामा था. आजादी के समय उन्होंने कई आंदोलन किए और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ी.  

Kanaklata Barua

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Kanaklata Barua

भारतीय महिला स्वतंत्रता सेनानी कनकलता बरुआ का जन्म 22 दिसंबर 1924 में हुआ था. आजादी के लड़ाई में अपनी भागीदारी देते हुए मात्र 17 साल की उम्र में उन्होंने देश के नाम अपने प्राणों की आहुति दी थी. साल 1942 में हुए भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब कनकलता बरुआ एक जुलूस का नेतृत्व कर रही थी, तभी ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें गोली मार दिया था. 

Tara Rani Srivastava

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Tara Rani Srivastava

तारा रानी श्रीवास्तव भी उन्हीं महिला सेनानियों में से एक है. जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाई थी. ये राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के द्वारा शुरू किए गए भारत छोड़ो आंदोलन की हिस्सा थी. ये अपने पति फुलेंदु बाबू के साथ बिहार के जिला सिवान में रहते थे. साल 1942 में जब इन दोनों ने सीवान पुलिस थाना के खिलाफ मार्च निकाला तो, इनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इन दोनों में देश के प्रति इतना जुनून था कि ब्रिटिश पुलिस के द्वारा गोली मारे जाने के बाद भी उन्होंने तिरंगे को अपने हाथों से नीचे नहीं गिरने दिया. 

Matangini Hazra

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Matangini Hazra

गांधी बुढ़ी के नाम से जाने जानी वाली मातंगिनी हाजरा एक भारतीय महिला क्रांतिकारी थी. इनका जन्म पूर्वी बंगाल के मिदनापुर जिले के होगला ग्राम में हुआ था. काफी निर्धन परिवार में जन्म होने के कारण मात्र 12 साल की उम्र में उनकी शादी 62 वर्षीय व्यक्ति के साथ कर दी गई थी. इसके बावजूद उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ने का ठाना. इन्होंने अंग्रेजो को देश से खदाड़ने के लिए बहुत से लोगों को एकजुट किया था. भारत छोड़ो आंदोलन में अपनी भागीदारी देने के दौरान ब्रिटिश पुलिस से गोली लगने के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी. 

Velu Nachiyar

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Velu Nachiyar

वेलु नचियार भारत की पहली रानी थी, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कदम बढ़ाया था. ये वर्ष 1780 और 1790 के बीच ईरानी वेलू नाचियार तमिलनाडु के शिवगंगा क्षेत्र की रानी थी. रानी वेलु नचियार ने ईरानी और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हथियार उठाया था. तमिल लोग उन्हें वीरमंगई के नाम से जानते हैं. 

Lakshmi Sahgal

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Lakshmi Sahgal

लक्ष्मी सहगल भी भारतीय महिला क्रांतिकारियों में एक है. इनका जन्म साल 1914 में एक परंपरावादी तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था. पेशे से ये एक डॉक्टर थी. इन्होंने अपनी पढ़ाई मद्रास मेडिकल कॉलेज से किया था. डॉक्टर लक्ष्मी सहगल आजाद हिंद फौज की अधिकारी के साथ आजाद हिंद सरकार में महिला मामलों की मंत्री थी. इसके साथ ही ये आजाद हिंद फौज में रानी लक्ष्मी रेजिमेंट की कमांडर भी थी. ये आजादी के लड़ाई में घायल हुए सेनानियों का उपचार करती थी. उनकी मदद करती थी. 

 

Kamaladevi Chattopadhyay

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Kamaladevi Chattopadhyay

कमलादेवी चट्टोपाध्याय ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार होने वाली पहली महिला थी. इनका जन्म साल 1903 में कर्नाटक के मैंगलोर शहर के संपन्न ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनका विवाह मात्र 14 साल की उम्र में हो गई थी. कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी. इन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में न्यौछावर कर दिया था. ये विधानसभा के लिए पहली महिला उम्मीदवार थी. इन्हें समाज सेवा के लिए सरकार से पद्म भूषण और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 

Begum Hazrat Mahal

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Begum Hazrat Mahal

बेगम हज़रत महल भारतीय महिला स्वतंत्रता सेनानियों में से एक है. इन्हें अवध की बेगम नाम से भी जाना जाता है. ये अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी थी. इन्होंने साल 1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपनी अहम भूमिका दी थी. 

Nira Arya

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Nira Arya

नीरा आर्या महान देशभक्त और महिला स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थी. इन्होंने नेता सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अपने पति को मार दिया था. नीरा आर्या सुभाष चंद्र बोस के भारतीय राष्ट्रीय सेना की पहली महिला जासूस थी. पति ही हत्या के आरोप में उन्हें जेल की सलाखों में कई टॉर्चर का सामना करना पड़ता था. इसके बावजूद उन्होंने कभी भी अपना मुंह नहीं खोली. आपको बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में जानकारी लेने के लिए अंग्रेजों ने नीरा के स्तन तक को काट दिया था.