Jharkhand Swarna Rekha River: स्वर्णरेखा नदी जिसे झारखंड की जीवनदायिनी के रूप में माना जाता है. यह अपने नाम के अनुसार सच में सोने का प्रवाह करती है.
स्वर्णरेखा नदी में सोने के कणों का रहस्य आज तक वैज्ञानिकों के लिए अनसुलझा है. हालांकि इस नदी से सोने के कण निकलते हैं और कई गांवों के लोग आज भी इन्हें निकालने का प्रयास करते हैं. लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है ये सोने के कण आते कहां से हैं.
एक कहानी के अनुसार मुगल शासकों ने नागवंशी राजाओं पर हमला किया तो नागवंशी ने अपने सोने के आभूषण इस नदी में बहा दिए थे. कहा जाता है तेज धारा के कारण ये आभूषण सोने के कण में बदल गए थे. जो आज भी नदी में पाए जाते हैं.
स्वर्णरेखा की सहायक नदी करकरी की रेत में भी सोने के कण पाए जाते है और लोग यहां से भी सोना निकालते हैं. माना जाता है कि स्वर्णरेखा नदी में सोना करकरी नदी से आता है. अन्य प्रमुख सहायक नदी कांची भी है.
रांची और सरायकेला खरसावां के कई गावों में आज भी महिलाएं सूप और छलनी लेकर स्वर्णरेखा नदी में सोने के कण ढूंढती नजर आती हैं. कई परिवार पीढ़ियों से इस नदी से सोना निकालकर अपना गुजारा कर रहे हैं.
स्वर्णरेखा नदी में सोने के कण ढूढ़ने वाले को उम्मीद हो सकती है. कि वे अमीर बन जाएंगे. लेकिन हकीकत इससे अलग है. पूरे दिन की मेहनत के बाद उन्हें चावल जितने एक दो चावल के दाने जितने कण ही मिलते है. जिसके लिए उन्हें दुकानदार से 80 से 100 रुपए प्रति कण मिलते है. इस तरह महिलाएं पूरे महीने में मुश्किल से 5-6 हजार रुपए ही कमा पाती हैं.