सरकार के विकास योजनाओं से प्रभावित होकर और पुलिस की बढ़ती दबिश से परेशान होकर नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने को मजबूर होना पड़ रहा है.
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कामरान, रांची: झारखंड में नक्सलियों का सफाया करने को लेकर पुलिस का अभियान और सरकार की पॉलिसी दोनों कारगर साबित होती दिख रही है. सरकार के विकास योजनाओं से प्रभावित होकर और पुलिस की बढ़ती दबिश से परेशान होकर नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने को मजबूर होना पड़ रहा है. इसके बाद भी जो नक्सली कानून को अपने हाथ में लेकर समाज के खिलाफ काम कर रहे हैं उन पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस ने प्लान बी भी तैयार कर लिया है.
बूढ़ापहाड़, मध्य जोन में सक्रिय शीर्ष माओवादियों की तस्वीरें जारी कर पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ पोस्टर वार शुरू कर दिया है. पुलिस ने साथ ही शीर्ष नक्सलियों को घेरने की तैयारी भी शुरू कर दी है जिसके तहत आए दिन मुठभेड़ भी हो रहे हैं. इसके तहत कई नक्सलियों के मारे जाने की भी खबर है.
पुलिस प्रवक्ता के अनुसार पिछले 40 दिनों में अब तक 7 नक्सली मारे जा चुके हैं 11 से ज्यादा मुठभेड़ हुए हैं. पिछले साल 2018 में 60 से अधिक मुठभेड़ों में विभिन्न संगठनों के 26 नक्सली मारे जा चुके हैं. वही आज भी ऑपरेशन जारी है.
कुछ दिनों पहले पीएफआई संगठन को भी गृह मंत्रालय द्वारा बैन किया गया है. पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक पीएफआई संगठन लगातार सामाजिक उन्माद फैलाने का काम कर रहा था और रिपोर्ट के आधार पर इसे बैन किया गया है. वहीं, उन्होंने बताया कि पीएफआई संगठनपीएफआई संगठन पीएफआई संगठन के दान किए जाने के बाद इन के सदस्यों पर भी नियम संगत कार्रवाई करने को लेकर पुलिस प्रतिबंध है.
राज्य को नक्सल मुक्त बनाने को लेकर सरकार अपनी फुल प्रूफ प्लानिंग के तहत काम कर रही है और जिस तरीके से परिणाम मिल रहे हैं कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में राज्य नक्सल मुक्त हो सकता है.