Bihar Politics: बेंगलुरु में हुई विपक्ष की महाबैठक के बाद से बिहार के महागठबंधन सरकार में इन दिनों कुछ तनातनी के संकेत मिल रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की सियासत में कई नए मोड़ आ रहे हैं. चुनावी शोर के बीच जोड़-तोड़ की राजनीति भी चरम पर है. इस बीच सत्ताधारी महागठबंधन की सरकार में ऑल इज नॉट वेल वाले हालात बन रहे हैं. क्योंकि महागठबंधन के घटक दलों के बीच में असंतोष पनपने लगा है.


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बैठक के बाद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ उखड़े-उखड़े नजर आ रहे हैं. वह ना तो अपनी कैबिनेट विस्तार को लेकर कोई फैसला ले रहे हैं ना ही विपक्षी एकता पर कुछ बोल रहे हैं. अब उन्होंने तेजस्वी यादव को बड़ा झटका दिया है. उन्होंने राजद कोटे के मंत्री आलोक मेहता के फैसले को एक झटके में कैंसिल कर दिया. बता दें कि आलोक मेहता तेजस्वी यादव के काफी करीबी माने जाते हैं. दरअसल, 30 जून 2023 को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक मेहता की ओर से 480 अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग की गई थी. सीएम नीतीश कुमार के आदेश के बाद इसे एक झटके में रद्द कर दिया गया है.


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राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक मेहता ने 30 जून की रात को अपने विभाग में बड़े पैमाने पर ट्रांसफर-पोस्टिंग की थी. इसमें पैसा लेकर ट्रांसफर-पोस्टिंग करने के आरोप लगे थे. इस मामले में सरकार की भद्द पिटने के बाद नीतीश कुमार ने भी बड़ा एक्शन लिया और उस फैसले को ही पलट दिया है. सीएम के आदेश के बाद सभी 480 अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग रद्द कर दी गई है.


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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस एक्शन के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. लोग इसे महागठबंधन सरकार में दरार बता रहे हैं. मुख्यमंत्री इससे पहले भी राजद कोटे के मंत्रियों के आदेश को रद्द कर चुके हैं. नीतीश कुमार ने इससे पहले बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर और शिक्षा विभाक के अपर मुख्य सचिव केके पाठक विवाद में केके पाठक का साथ दिया था. इस विवाद पर RJD और JDU के नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे.