Bihar Politics: बिहार के मंत्री और जेडीयू के दिग्गज नेता अशोक चौधरी की ओर से भूमिहारों पर की गई टिप्पणी पर सियासत जारी है. उन्होंने जहानाबाद में जेडीयू की हार ठीकरा भूमिहार समाज पर फोड़ते हुए कहा था कि मैं भूमिहार जाति को अच्छे से जानता हूं. जब लोकसभा चुनाव हुआ, तो इस जाति के लोग नीतीश कुमार का साथ छोड़कर भाग गए. भूमिहारों के समर्थन न करने के कारण लोकसभा चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार चंदेश्वर चंद्रवंशी को हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने आगे कहा कि यदि किसी उम्मीदवार ने लोगों के दरवाजे पर दो-तीन बार दस्तक नहीं दी, तो उसे खराब माना जाता है, लेकिन अगर वही उम्मीदवार भूमिहार जाति का हो और उसने यह काम कभी नहीं किया हो, तो उसे अच्छा माना जाता है. उनके इस बयान के बाद से बिहार की सियासत में हंगामा मचा हुआ है. इसको लेकर जेडीयू में ही विरोध की आवाज उठने लगी है. 


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पार्टी के मुख्य प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने इसके लिए चौधरी के विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कभी जाति की राजनीति नहीं करते हैं. किसी को भी हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. राजनीतिक घृणा हमारी कार्यशैली का हिस्सा नहीं है. लोग नीतीश कुमार जी को पसंद करते हैं. अशोक चौधरी को ऐसे बयानों से बचना चाहिए. बीजेपी ने भी इस वोट से किनारा किया है. बीजेपी के एमएलसी सर्वेश कुमार सिंह ने कहा कि बीजेपी सभी समाजों के लिए काम करती है. हमें सभी समाजों के लोग वोट देते हैं. हम सबसे बड़ी पार्टी बने हैं क्योंकि सभी लोग हमें वोट देते हैं. यह बात कहां से आई कि भूमिहार ने जेडीयू को वोट नहीं दिया, पता नहीं कौन क्या बोल रहा है. 


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जेडीयू के पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा ने कहा कि भूमिहार समाज अशोक चौधरी का नौकर नहीं है. भूमिहार समाज की पूरा आस्था मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए सरकार में है. शर्मा ने कहा कि अशोक चौधरी गलतबयानी कर रहे हैं. आखिरकार वो किस आधार पर ये कह रहे हैं कि भूमिहार समाज ने उनको वोट नहीं दिया क्या उन्होंने बूथ वाइज आंकड़ों का सर्वेक्षण किया है? राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अशोक चौधरी के बयान से उपचुनाव में एनडीए को नुकसान हो सकता है. विवाद बढ़ने पर अशोक चौधरी ने भी अपनी गलती सुधारते हुए कहा कि मैंने भूमिहार समाज में अपनी बेटी की शादी की है. कुछ लोगो मेरे कंधे पर बैठ कर मेरे ही दामाद का शिकार करना चाहते हैं.


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वहीं लोकसभा चुनाव से पहले गुजरात बीजेपी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने राजपूत समाज पर विवादित टिप्पणी कर दी थी. उन्होंने कहा था कि अलग-अलग राजपूत शासकों और अंग्रेजों के बीच सांठगांठ थी. इस पर क्षत्रिय समाज उनके खिलाफ हो गए थे. उनके इस बयान से बीजेपी को सबसे बड़ा झटका यूपी से लगा है. यहां पार्टी को सिर्फ 33 सीटें ही मिली हैं. बिहार में राजपूत वोटों में सेंधमारी से सबसे बड़ा नुकसान उपेंद्र कुशवाहा को हुआ. काराकाट में कुशवाहा के खिलाफ भोजपुरी स्टार पवन सिंह खड़े हो गए थे. पवन सिंह के स्वजातीय राजपूत वोटरों का रुझान उनकी तरफ रहा जिसके कारण महागठबंधन के समर्थन से लेफ्ट के राजाराम कुशवाहा को जीत मिली थी.


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