Bihar Politics: बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू को लेकर पिछले कुछ दिनों से जिस बात की चर्चा चल रही थी वही हुआ. आखिरकार ललन सिंह को अध्यक्ष की कुर्सी से उतार ही दिया गया और एक बार फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास सारे अधिकार आ गए. ललन सिंह के इस्तीफे के बाद भी पॉलिटिकल बुखार चढ़ा हुआ है. अब सत्ता पलट की अटकलें लगाई जा रही हैं. कभी नीतीश कुमार के साथ रहे बिहार पूर्व सीएम और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी के एक बयान ने राजनीतिक सरगर्मी को और बढ़ा दिया है. मांझी ने जल्द प्रदेश की सत्ता में परिवर्तन होने के संकेत दिए हैं. 


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ललन सिंह के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए मांझी ने कहा कि ललन बाबू का इस्तीफा आज की बात नहीं है. ये दो महीने से चल रहा है. उन्होंने कहा कि ललन सिंह और बिजेंद्र यादव तो तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे. ये प्रस्ताव लेकर गए थे और इस पर नीतीश कुमार ने नाराजगी व्यक्त की थी. तभी से ललन सिंह को अध्यक्ष पद से हटाने का लेटर मिल चुका था. बस नीतीश कुमार लोगों का ध्यान भटका रहे थे. पार्टी में विद्रोह ना हो इसलिए बैठक में यह सब बातें साफ हुई.


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नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी को लेकर मांझी ने कहा कि राजनीति में सब कुछ संभव है. उन्होंने कहा कि अगर भाजपा के लोग डिसाइड करते हैं कि नीतीश कुमार फिर से NDA में हमारे साथ आएंगे तो हमलोग नीतीश कुमार का विरोध नहीं करेंगे. मांझी ने कहा कि हम लोग और नीतीश कुमार पहले भी एनडीए में साथ थे. उस वक्त नीतीश कुमार पलटी मार लिए. उसी वक्त हमने कसम ले लिया था कि नीतीश कुमार को नहीं छोड़ेंगे, इसलिए उनके साथ थे. फिर नीतीश जी कहने लगे कि अपनी पार्टी को जदयू में मर्ज करवा लीजिए. हमारी पार्टी के लोगों की ये मर्जी नहीं थी इसलिए हम लोग अलग हो गए थे. 


हम संरक्षक ने कहा कि हम लोग NDA के नेताओं को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने कहा कि आप हमारे साथ गठबंधन में आ जाइए. प्रधानमंत्री जी और अमित शाह जी ने हमसे संवाद किया और हम NDA में चले गए. मांझी ने कहा कि हम लोग मान-मर्यादा के लोभी रहे हैं. आज हमें NDA में जिस प्रकार मान और मर्यादा दिया जाता है तो किसी परिस्थिति में हम लोग नरेंद्र मोदी को छोड़ने को तैयार नहीं है. अपने देखा है कि किस तरह से NDA गठबंधन की बैठक हुई थी तो प्रधानमंत्री के सामने ही हमें बैठने की व्यवस्था दी गई थी.


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वहीं राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मकर संक्रांति तक क्लियर हो जाएगा कि इस सियासी खिचड़ी में कौन सा तड़का लगना है. इसके पीछे राजनीतिक पंडितों का तर्क है कि अभी खरमास चल रहा है और मान्यता है कि खरमास में शुभ कार्यों पर रोक रहती है. देश के अन्य हिस्सों में लोग इस मान्यता को भले ना मानते हों, लेकिन यूपी-बिहार के लोगों का इसके प्रति अगाध विश्वास देखने को मिलता है.