Bihar Politics: बिहार में नियोजित शिक्षकों ने अब राज्य सरकार से खुली टक्कर लेने की घोषणा कर दी है. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने नियोजित शिक्षकों से BPSC का फार्म नहीं भरने की अपील करते हुए आगामी एक जुलाई से पू्र्ण तालाबंदी का ऐलान किया है. अब उन्हें बीजेपी का भी सहारा मिल गया है. बिहार बीजेपी ने नियोजित शिक्षकों की लड़ाई में अपना सहयोग देने का फैसला लिया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और विधानसभा में नेता-प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने सोमवार को शिक्षक संगठनों के नेताओं से मुलाकात करके उन्हें मदद करने का आश्वासन दिया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


शिक्षक संगठनों के नेताओं से मुलाकात के बाद सम्राट चौधरी ने नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि सरकार हड़बड़ी में शिक्षक नियुक्ति नियमावली लाई है, जिसमें कई गड़बड़ियां हैं. उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार अपने फैसले को वापस नहीं लेगी, तो जुलाई में बीजेपी नेता राजभवन तक मार्च निकालेंगे. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मियों का दर्जा दिलाकर ही मानेगी. उन्होंने शिक्षक संघ के नेताओं से कहा कि तुम आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं. 


ये भी पढ़ें- दरभंगा एम्स पर राजनीति जारी, जानिए कौन बन गया है विलेन?


वहीं नेता-प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि नियोजित शिक्षकों को सम्मान करते हुए नियमावली बनाई जाए जिससे शिक्षकों का भी मनोबल बढ़े और शैक्षणिक वातावरण तैयार हो. उन्होंने कहा कि बिहार में अगर बीजेपी की सरकार बनाती है तो यूपी और गुजरात का शिक्षा माडल लागू होगा. शिक्षक नेता विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने कहा कि, बीजेपी शिक्षकों के मांगों को लेकर सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ेगी. शिक्षकों को निराश नहीं होने देंगे.


ये भी पढ़ें- कैसे होगी विपक्षी एकता की मुहिम कामयाब, जब पार्टियां अलाप रही अलग राग!


लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां विपक्षी एकता की मुहिम में जुटे हैं. वहीं नियोजित शिक्षकों का समर्थन करके सम्राट चौधरी ने बड़ा दांव खेल दिया है. प्रदेश के प्रारंभिक स्कूलों में नियोजित शिक्षकों की कुल संख्या 3.23 लाख है. यदि चुनाव में बीजेपी को इस वर्ग का समर्थन मिल गया तो नीतीश कुमार के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है. इसी तरह 2016 में बीजेपी ने यूपी में शिक्षामित्रों का समर्थन किया था. नतीजा ये हुआ था कि लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में सपा का सूपड़ा साफ हो गया था.