Darbhanga AIIMS: दरभंगा एम्स पर राजनीति जारी, जानिए कौन बन गया है विलेन?
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Darbhanga AIIMS: दरभंगा एम्स पर राजनीति जारी, जानिए कौन बन गया है विलेन?

बीजेपी के राज्यसभा सांसद और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने तो यहां तक कह दिया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहते ही नहीं हैं कि बिहार में कोई विकास कार्य हो. जिस पर सीएम ने भी पलटवार करते हुए कहा कि हमने एम्स का सारा काम करा दिया था. केंद्र से मिलकर सारी बात हो गई थी. अब केंद्र सरकार के दिमाग में कोई और बात होगी. उन्होंने आगे कह कि जब ये लोग हटेंगे तब जाकर अच्छा काम होगा.

दरभंगा एम्स पर राजनीति

Politics On Darbhanga AIIMS: बिहार के दरभंगा में प्रस्तावित एम्स निर्माण पर फिर एक बार ग्रहण लग गया है. बिहार सरकार ने जिस जमीन पर एम्स बनाने का प्रस्ताव दिया है, उसे मोदी सरकार ने रिजेक्ट कर दिया है. अब इस पर बयानबाजी शुरू हो चुकी है. बीजेपी के राज्यसभा सांसद और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने तो यहां तक कह दिया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहते ही नहीं हैं कि बिहार में कोई विकास कार्य हो. जिस पर सीएम ने भी पलटवार करते हुए कहा कि हमने एम्स का सारा काम करा दिया था. केंद्र से मिलकर सारी बात हो गई थी. अब केंद्र सरकार के दिमाग में कोई और बात होगी. उन्होंने आगे कह कि जब ये लोग हटेंगे तब जाकर अच्छा काम होगा.

बता दें कि अभी पूरे बिहार में सिर्फ एक एम्स है, वो भी राजधानी पटना में. दूसरे एम्स के लिए लंबे समय से खबरें चल रही थीं, लेकिन अब यह केंद्र और बिहार सरकार के बीच झंझट में फंस गया है. बता दें कि पीएम मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में ही दरभंगा को एम्स देने का वादा किया था. तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015-16 के बजट में इसकी घोषणा की थी. एम्स की बात सुनकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू का साथ छोड़कर फिर से एनडीए के साथ आ गए थे. उस वक्त डीएमसीएच के पास ही एम्स बनाने पर सहमति बनी थी.

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सितंबर 2020 में केंद्रीय कैबिनेट ने दरभंगा के नाम पर स्वीकृति दे दी थी, लेकिन सीएम नीतीश कुमार ने फिर पलटी मार दी और एनडीए का साथ छोड़ दिया. महागठबंधन में शामिल होते ही सीएम नीतीश एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन को बदल दिया. राजद नेताओं की सलाह पर शोभन में नई जगह का चयन किया गया. मतलब साफ है कि नई जगह चुनने में राजद का प्रभाव था, हालांकि जदयू कोटे के मंत्री संजय झा इसके लिए लगातार सक्रिय दिखे. एम्स बनाने के लिए जमीन को समतल करने के लिए नीतीश सरकार ने 309 करोड़ का बजट पास किया. गड्ढ़े भरने के लिए इतनी बड़ी रकम पास करने पर भी मोदी सरकार को आपत्ति है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि इस रकम को किसी अन्य योजना में इस्तेमाल किया जा सकता है.

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वहीं इससे पहले डीएमसीएच के पास एम्स बनाने के लिए 81 एकड़ के प्लॉट में 3 फीट की भराई करने में राज्य सरकार को 4 साल लगे. सीएम नीतीश कुमार ने इस काम के लिए 14 करोड़ रुपये खर्च कर दिए. इसके बाद भी पूरी जमीन नहीं दे सके. जमीन कम होने पर साइट बदलने की बात आई तो महागठबंधन सरकार ने शोभन बाइपास पर एम्स बनाने में तेजी दिखाई. केंद्रीय टीम के निरीक्षण से पहले ही इस जमीन पर मिट्टी भराई के लिए 309 करोड़ रुपये का टेंडर भी पास हो गया. 27 अप्रैल को केंद्रीय टीम ने निरीक्षण में जमीन को रिजेक्ट कर दिया. महागठबंधन सरकार की जल्दबाजी से अब उसकी किरकिरी हो सकती है. इसलिए सीएम नीतीश नई जमीन पर ही एम्स बनाने की बात पर अड़े हैं. 

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