बिहार में `बुलेट` राजनीति शुरू, पीके बोले `अभी एक दागे हैं…`, किया वादा आपको हारने नहीं दूंगा
बिहार में प्रशांत किशोर को जहां एक तरफ भाजपा और महागठबंधन के दल हल्के में ले रहे थे वहीं MLC चुनाव में पीके ने बिना पार्टी के गठन के और बिना किसी चुनाव चिन्ह के बिहार के राजनीतिक दलों को ऐसा झटका दिया की पूरी सियासत में खलबली मच गई. पीके समर्थित एक प्रत्याशी आफताब आलम ने बिहार एमएलसी चुन
पटना: बिहार में प्रशांत किशोर को जहां एक तरफ भाजपा और महागठबंधन के दल हल्के में ले रहे थे वहीं MLC चुनाव में पीके ने बिना पार्टी के गठन के और बिना किसी चुनाव चिन्ह के बिहार के राजनीतिक दलों को ऐसा झटका दिया की पूरी सियासत में खलबली मच गई. पीके समर्थित एक प्रत्याशी आफताब आलम ने बिहार एमएलसी चुनाव में वह कर दिखाया जो किसी भी पार्टी की सोच से काफी ऊपर की बात थी. प्रशांत किशोर पहले भी यह दावा करते रहे हैं कि वह एक चुनावी रणनीतिकार के तौर पर देश में 6 मुख्यमंत्री बना चुके हैं. मतलब पीके के अंदर इतना सामर्थ्य है कि वह किसी भी सियासी दल को पराजित कर सकते हैं.
प्रशांत किशोर इन दिनों बिहार में जन सुराज यात्रा कर रहे हैं और महागठबंधन और भाजपा दोनों को निशाने पर ले रहे हैं. वह कहते रहे हैं कि इनदोनों सियासी खेमों ने ही सबको ठगा है. इसी यात्रा के दौरान हाजीपुर में प्रशांत ने मीडिया के सामने जो कहा उशके बाद से ही बिहार का सियासी तापमान बढ़ गया. उन्होंने कहा कि अभी तो मैंने एक बुलेट दागा है तो इतनी हलचल बढ़ गई है. अगर एक साथ 10 बुलेट दाग दूंगा तो किसी को पता भी नहीं चलेगा कि ऊपर से क्या गया और नीचे से क्या गया.
प्रशांत किशोर ने यहां जनता के सामने साफ कहा कि भाजपा हो या महागठबंधन की सरकार दोनों ने जनता को केवल ठगा ही है. ऐसे में साफ तौर पर कह रहा हूं कि सोच विचार कर सच्चे उम्मीदवार को वोट कीजिए. पीके ने लोगों के सामने कहा कि पिछले 10 साल में हमने जिसका भी हाथ थामा वह कभी हारा नहीं है ऐसे में आपको साफ बता दे रहा हूं कि इस बार आपलोगों का हाथ मैंने थाम लिया है और आपको हारने नहीं दूंगा.
प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरे पास 6 बुलेट हैं और मैं इतना बड़ा बेवकूफ नहीं हूं कि एक साथ सभी दाग दूं. लोग इसके बाद से यह कयास लगाने लगे कि प्रशांत किशोर अपने बयानों से जो दावा करते रहे हैं कि उन्होंने 6 सीएम बनाए हैं उसे 6 बुलेट के तौर पर देखते हैं. पीके की पदयात्रा और महागठबंधन के दलों के साथ भाजपा पर साधा जानेवाला उनका निशाना कहीं ना कहीं सियासी दलों को परेशान कर रहा है. ऐसे में पीके के बढ़ते राजनीतिक कद और जनता का उनमें जुड़ता विश्वास बता रहा है कि पीके बिहार में सभी के लिए चुनाव में भारी पड़ सकते हैं.