नीतीश इस फॉर्मूले से भाजपा को 100 सीट पर रोकने का बना रहे प्लान, क्या वीपी सिंह से हुए हैं प्रेरित!
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नीतीश इस फॉर्मूले से भाजपा को 100 सीट पर रोकने का बना रहे प्लान, क्या वीपी सिंह से हुए हैं प्रेरित!

1989 में केंद्र की सत्ता पर एक ऐसी सरकार बैठी जो वीपी सिंह की अगुवाई में नेशनल फ्रंट की सरकार के नाम से चली, आपको बता दें कि भाजपा को हराने के लिए विपक्ष इनदिनों एक जुट हो रहा है और उसे सत्ता से बाहर रखने के लिए नीतीश कुमार ने कुछ ऐसा ही फॉर्मूला विपक्ष को सुझाया है.

(फाइल फोटो)

पटना: 1989 में केंद्र की सत्ता पर एक ऐसी सरकार बैठी जो वीपी सिंह की अगुवाई में नेशनल फ्रंट की सरकार के नाम से चली, आपको बता दें कि भाजपा को हराने के लिए विपक्ष इनदिनों एक जुट हो रहा है और उसे सत्ता से बाहर रखने के लिए नीतीश कुमार ने कुछ ऐसा ही फॉर्मूला विपक्ष को सुझाया है. दरअसल वीपी सिंह के समय राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स तोप घोटाले का ममला सामने था और राजीव गांधी की सरकार से वीपी सिंह इस्तीफा देकर अलग हुए थे. इसके बाद 1989 के चुनाव में वह केंद्र की सभी एक समान विचारधारा वाली पार्टी को लेकर राजीव गांधी की कांग्रेस के खिलाफ मैदान में उतर गए और इसका नतीजा यह हुआ की केंद्र में नेशनल फ्रंट की सरकार का गठन हुआ. 

2024 में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ भी नीतीश कुमार उसी फॉर्मूले के तहत विपक्ष को एकजुट करने की कवायद में लगे हुए हैं. आपको बता दें कि OSOC फॉर्मूला मतलब एक सीट एक पार्टी एक उम्मीदवार के तहत ही उम्मीदवार उतारने की बात की जा रही है. इसी के तहत दिल्ली में एक तरफ आप संयोजक अरविंद केजरीवाल तो दूसरी तरफ वाम नेता सीताराम येचुरी से नीतीश कुमार ने मुलाकात की थी. इसके बाद नीतीश की मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और फिर राहुल गांधी से हुई. 

ऐसे में विपक्षी एकता के लिए यह मुलाकात कई मायनों मे जरूरी था. नीतीश कुमार कांग्रेस और भाजपा से समान दूरी रखने वाली पार्टी को साधने के लिए यह सब कर रहे हैं. जिसमें टीएमसी, केसीआर की भारत राष्ट्र समिति, अखिलेश यादव की सपा, केजरीवाल की आप है जिसको साधने के लिए नीतीश आगे आए हैं. जबकि कांग्रेस को एनसीपी. डीएमके सहित शिवसेना और अन्य पार्टियों को साथ लाने के लिए तैयार किया गया है. 

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अगर नीतीश अपने फॉर्मूले में कामयाब होते हैं तो वह वीपी सिंह की तरह ही नाम कमा लेंगे. इस फॉर्मूले में इस बात को बारे में सोचा गया है कि हर पार्टी जो भी लोकसभा सीट पर उम्मीदवार उतारना चाहती है वह पहले तय कर ले और उस सीट पर भाजपा और उसके सहयोगी दलों के खिलाफ एक ही विपक्षी पार्टी का उम्मीदवार मैदान में हो. 

वीपी सिंह के OSOC फॉर्मूले की वजह से कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस उस बार 197 सीटों पर सिमट गई थी. कांग्रेस को 217 सीटों का नुकसान हुआ था. तब भाजपा वीपी सिंह की उस सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी. अब नीतीश कुमार भाजपा को शिकस्त देने के लिए उसी फॉर्मूले को सेट करने की तैयारी में लगे हुए हैं.  

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