I.N.D.I.A. की चौथी बैठक में पूरी होगी CM नीतीश की ख्वाहिश? ये नेता लगा सकते हैं अडंगा
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I.N.D.I.A. की चौथी बैठक में पूरी होगी CM नीतीश की ख्वाहिश? ये नेता लगा सकते हैं अडंगा

INDIA Alliance Delhi Meeting: बीजेपी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने ही विपक्षी गठबंधन की नींव रखी थी. उस वक्त उन्हें ही नेता माना जा रहा था. कहा जा रहा था कि वही पीएम मोदी को हराने की क्षमता रखते हैं. हालांकि, बाद में कांग्रेस पार्टी ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया और विपक्षी गठबंधन को हाईजैक कर लिया.

फाइल फोटो

INDIA Alliance Delhi Meeting: पीएम मोदी के खिलाफ तैयार हुए विपक्ष गठबंधन I.N.D.I.A. की अगली बैठक 19 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहले इस बैठक को 6 दिसंबर को बुलाया था, लेकिन नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव की ओर से बैठक में नहीं आने की जानकारी मिलने के बाद इसकी तिथि आगे खिसका दी गई थी. इस बैठक में कांग्रेस पार्टी के सामने अपना कद बरकरार रखाने की सबसे बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि विधानसभा चुनावों के बाद से क्षेत्रीय दल उसे आंखें दिखा रहे हैं. कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में जिस तरह से क्षेत्रीय दलों की अनदेखी की थी, गठबंधन में अब उसे उन दलों का गुस्सा सहना पड़ सकता है. नीतीश कुमार के राजनीतिक भविष्य के लिहाज से यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है. 

विधानसभा चुनाव के बाद बदले समीकरण

दरअसल, बीजेपी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने ही विपक्षी गठबंधन की नींव रखी थी. उस वक्त उन्हें ही नेता माना जा रहा था. कहा जा रहा था कि वही पीएम मोदी को हराने की क्षमता रखते हैं. हालांकि, बाद में कांग्रेस पार्टी ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया और विपक्षी गठबंधन को हाईजैक कर लिया. शुरू में नीतीश कुमार मुख्य भूमिका में थे, लेकिन फिर उन्हें सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर समझा जाने लगा. इसमें लालू यादव ने भी नीतीश कुमार के साथ खेल किया. लालू भी राहुल को ही आगे बढ़ाने में लग गए. उन्होंने तो राहुल से साफ कह दिया कि तुम बारात निकालो हम लोग बाराती बनने को तैयार हैं. कांग्रेस के कारण नीतीश कुमार को विपक्षी गठबंधन का संयोजक तक नहीं बनाया गया. इससे नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा था.

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नीतीश कुमार की ख्वाहिश होगी पूरी?

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी से शर्मनाक हार मिलने के बाद से कांग्रेस पार्टी बैकफुट पर पहुंच चुकी है. इन चुनावों में ये फिर से साबित हो गया कि बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस पार्टी अकेले सक्षम नहीं है. साथ ही एक बार फिर से राहुल गांधी की काबिलियत पर प्रश्नचिह्न लग गया. मोदी के सामने राहुल की लोकप्रियता फिर से फ्लॉप साबित हुई. ऐसे में इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने का अधिकार कांग्रेस से छिन सकता है. अगर कांग्रेस को ड्राइविंग सीट उतरना पड़ा तो गठबंधन की स्टेयरिंग नीतीश कुमार के हाथों में आ सकती है. इसीलिए नीतीश कुमार अब बिहार के बाहर भी अपनी ताकत दिखाने की रणनीति बना रहे हैं. वह जनवरी महीने में उत्तर प्रदेश और झारखंड में रैली करने वाले हैं.

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राह में अड़ंगा लगाएंगे ये नेता?

हालांकि, विपक्ष में नीतीश कुमार को नेता बनना इतना भी आसान नहीं है. इसमें सबसे बड़ा अड़ंगा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगा सकते हैं. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल भी पीएम बनने की ख्वाहिश रखते हैं. नीतीश कुमार ने हमेशा बैशाखी के सहारे सरकार चलाई है, जबकि केजरीवाल ने अपनी दम पर दो राज्यों में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है. केजरीवाल के अलावा टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इच्छाएं भी बड़ी प्रबल हैं. वह भी खुद को मोदी का प्रमुख चैलेंजर समझती हैं. 

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