Prashant Kishor Jansuraj: कैसे बनती है कोई पार्टी और क्या है इसकी प्रक्रिया, क्या कोई भी व्यक्ति बना सकता है दल?
Prashant Kishor Jansuraj: प्रशांत किशोर की नई राजनीतिक पार्टी के गठन में अब कुछ घंटे ही रह गए हैं. इस तरह बिहार में एक और राजनीतिक दल का उदय हो जाएगा. इससे पहले सियासी सरगर्मियां चरम पर हैं. प्रशांत किशोर की पार्टी को लेकर सिंगापुर और दुबई में बैठे राजजनीतिज्ञ भी अपना रिएक्शन दे रहे हैं.
Prashant Kishor Jansuraj: महात्मा गांधी की जयंती यानी 2 अक्टूबर को बिहार में एक नई पार्टी का जन्म होने जा रहा है. प्रशांत किशोर ने जिस जनसुराज की स्थापना की थी, वो अब पार्टी की शक्ल लेने जा रहा है. पार्टी का नया नाम 2 अक्टूबर को ही अनाउंस किया जाने वाला है. इससे बिहार में राजनीतिक सरगर्मी चरम पर है. लोगों में कौतूहल भी है. अब आपके मन में एक सवाल उठ रहा होगा कि आखिर राजनीतिक पार्टियां बनती कैसे हैं और क्या है इसके गठन की प्रक्रिया? एक पार्टी जब खड़ी होती है तो उसके पीछे क्या क्या तैयारी और प्रक्रिया का पालन करना होता है? कैसे उनको चुनाव चिह्न एलॉट किया जाता है? आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देंगे.
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सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि भारत में कितनी तरह की पार्टियां होती हैं? भारत में 3 तरह की राजनीतिक पार्टियां होती हैं: सबसे पहले राष्ट्रीय पार्टी, फिर राज्यस्तरीय पार्टी और उसके बाद क्षेत्रीय पार्टी. अभी देश में कुल 7 राष्ट्रीय, 58 राज्यस्तरीय और 1786 गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं. चुनाव में जो वोट और सीटें मिलती हैं, उसके हिसाब से पार्टियों को कैटेगरी में बांटा जाता है. समय समय पर दलों की व्यापकता की समीक्षा भी की जाती है.
नई पार्टी बनाने के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में प्रावधान किया गया है. आइए, पूरी प्रक्रिया को समझते हैं:
1. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी इसके बारे में पूरी जानकारी दी गई है. सबसे पहले पार्टी बनाने वाले व्यक्ति को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर एक फॉर्म भरना होता है.
2. प्रोसेसिंग फीस के रूप में चुनाव आयोग को 10 हजार रुपये भी डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से जमा कराने होते हैं.
3. पार्टी बनाने वाले व्यक्ति को अपने संगठन के लिए एक संविधान तैयार करना या करवाना होता है. इसमें पार्टी के नाम और पार्टी के काम करने के तरीकों के बारे में जानकारी दी जाती है. पार्टी के संविधान में इस बात का उल्लेख करना होता है कि उसके अध्यक्ष आदि का चुनाव कैसे होगा.
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4. पार्टी बनने से पहले यह जानकारी देनी होगी अध्यक्ष कौन बनने वाला है और पार्टी संविधान की कॉपी पर उनकी मुहर है कि नहीं, यह भी बताना होगा. पार्टी के नाम का बैंक अकाउंट आदि के बारे में भी बताना होगा.
5. पार्टी बनाने के लिए यह जरूरी है कि उसके न्यूनतम 100 सदस्य होने चाहिए और वो सदस्य किसी दूसरी पार्टी से न जुड़े हों. पार्टी के पदाधिकारियों, कार्यकारी समिति और परिषद आदि के बारे में भी चुनाव आयोग को बताना होगा.
6. इसके अलावा पार्टी को एक हलफनामा देकर यह बताना होगा कि उसका कोई भी सदस्य किसी दूसरी पार्टी का सदस्य नहीं है.
चुनाव चिह्न का आवंटन
संविधान के अनुच्छेद 324, जनप्रतिनिधित्व एक्ट 1951 और कंडक्ट आफ इलेक्शंस रूल्स, 1961 चुनाव आयोग को यह पावर देते हैं कि वह राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न आवंटित करे. इन शक्तियों का इस्तेमाल करके चुनाव आयोग ने चुनाव चिह्न आदेश 1968 जारी किया था.
चुनाव आयोग अपने पास 100 निशान सुरक्षित रखता है, जिनको किसी को आवंटित नहीं किया गया है. ये चुनाव निशान ऐसे होते हैं कि मतदाताओं को वे आसानी से याद रह सकें और पहचान जाएं.