असली जननायक तो पप्पू यादव हैं, बाकी सब तो राजा-रानी हैं!
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असली जननायक तो पप्पू यादव हैं, बाकी सब तो राजा-रानी हैं!

Pappu Yadav: जो काम पप्पू यादव कर रहे हैं, वो और भी लोग कर सकते हैं लेकिन जब आदमी खुद को औरों से आगे खड़ा कर लेता है तो एक निश्चित दूरी मेंटेन करने लगता है. फिर वह व्यक्ति चाहकर भी दूसरे लोगों के नजदीक नहीं जा पाता, क्योंकि समय फिर ऐसा करने से रोक देता है. फिर वो व्यक्ति कुछ करने लायक भी नहीं रह जाता. 

पप्पू यादव की छवि गरीबों की मसीहा वाली बन गई है. (Video Grab)

Pappu Yadav... A Real Hero: 'हैलो... फोन क्यों नहीं उठाते हो आप... चार दिन से लाइट क्यों नहीं है. अभी चालू हुआ अभी बोले तो अभी चालू हुआ. चार दिन से बीवी के पास सोए हुए थे. क्या कहा गाछ गिर गया था. अभी बोले तो कह रहे कि चालू हो गया. बोलने के बाद चालू होता है. आपकी जिम्मेदारी क्या है. ये नंदगोला और डुमरी की तरफ क्या हुआ. हम कुछ नहीं जानते. डुमरी और नंदगोला की बात बताइए. कितना देर में बिजली दोगे इधर. हमको बताइए आप.' ये दरअसल कोई और नहीं पप्पू यादव की बिजली विभाग में किसी से बातचीत करने का मजमून है. 4 दिन से बिजली नहीं आने की ग्रामीणों ने शिकायत की तो पप्पू यादव ने बिजली विभाग को लाइन पर ले लिया और फिर क्या था बिजली विभाग ने लाइन भी दे दी. बाढ़ हो, सूखा हो, बिजली कटौती हो, भूखमरी हो या फिर कोई और आपदा, पप्पू यादव हर वक्त मदद के लिए वहां हाजिर मिलेंगे. तभी तो बिहार के राजनीतिक हलकों में कहा जाता है कि हर कोई पप्पू यादव नहीं बन सकता. 

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ये पप्पू यादव ही थे, जिन्होंने कुछ साल पहले पटना में जब बाढ़ आई थी, तब मंत्रियों के घरों पर राहत सामग्री भी सप्लाई की थी. भारी भरकम शरीर भी पप्पू यादव की भावनाओं की राह में बाधा नहीं बनता और वे बाढ़ के पानी में भी तौलिया लपेटकर उतरने से नहीं शर्माते. जो काम अभी सरकार, सत्तारूढ़ दल के विधायक और सांसदों को करना चाहिए, वो काम केवल और केवल पप्पू यादव कर रहे हैं. गुहार लगाने भर की देर है, मदद मिलने में देरी नहीं होगी. यह पप्पू यादव की गारंटी होती है. 

पिछली बार की बात है... जब पप्पू यादव एक जगह लोगों की परेशानियों को बांटने पहुंचे थे. वहां लोगों को देने के लिए उनको पैसे कम पड़ गए तो उन्होंने अपने दोस्त से उधार लेकर लोगों की मदद की. यह वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुआ था. आज आधा से अधिक बिहार जलप्रलय का शिकार है. 4 से 5 बांध टूट गए हैं और गांव के गांव जलसमाधि की श​क्ल अख्तियार किए हुए हैं. इस समय बिहार में 40 सांसद और 243 विधायकों के अलावा 75 विधान पार्षद हैं. 

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कुल मिलाकर 358 नेताओं का निर्वाचन हुआ है, जो या तो विधायक हैं या फिर सांसद, लेकिन जब लोगों की सेवा की बारी आती है तो पप्पू यादव की तस्वीर ही सोशल मीडिया पर दिखाई देती है. पप्पू यादव मीडिया मैनेजमेंट नहीं करते, वे काम ही ऐसी दिलेरी से करते हैं कि मीडिया की मजबूरी बन जाती है उनको फुटेज देना. ये काम बाकी के 357 नेता भी कर सकते हैं, लेकिन बाढ़ या किसी और परेशानी में ये एसी कमरों से निकलते ही नहीं. ऐसे ही नेता बात बात पर मीडिया को दोष देते रहते हैं. अरे भाई, कुछ करोगे तभी तो फुटेज पाओगे.

पप्पू यादव की दिलेरी के कितने किस्से बताए जाएं. समय और शब्द कम पड़ जाएंगे. सहरसा जिला के मेहसी प्रखंड के बिरगांव गांव की ही बात करते हैं. वहां पता चला कि बाढ़ के चलते 3 दिनों से लोगों को भोजन नहीं मिला है और सरकार की ओर से भी कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है. इसलिए तत्काल कम्युनिटी किचन शुरू करने के लिए 50 हजार रुपये दिया. पप्पू यादव ने पैसे देते हुए यह भी कहा कि सरकार जिम्मेदारी से भाग सकती है, पर मैं कैसे भाग सकता हूं.

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दो दिन पहले ही पप्पू यादव ने अपने पिताजी की स्मृति में एक विवाह भवन, दो एंबुलेंस, कई गाय बकरी और सिलाई मशीन गरीब लोगों की सेवा में दान कर दिया. पप्पू यादव का कहना है कि मेरी कोशिश यही है कि आम लोगों के जीवन में गुणात्मक बदलाव हो और इसके लिए यह मेरी छोटी सी कोशिश है.

पप्पू यादव का प्रोफाइल

पप्पू यादव का पूरा नाम राजेश रंजन है. उनका जन्म 24 दिसंबर 1969 को हुआ था. पेशे से राजनेता पप्पू यादव ने 1991, 1996, 1999, 2004, 2014, 2014 और 2014 में अलग अलग लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं. 2015 में वे सर्वश्रेष्ठ सांसदों की सूची में भी स्थान पा चुके हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने शरद यादव को हराया था. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में पप्पू यादव ने जन अधिकार पार्टी बनाई थी और 40 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. हालांकि पप्पू यादव की पार्टी फ्लॉप हो गई थी और उसके एक भी प्रत्याशी ने अपनी छाप नहीं छोड़ी थी. 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया था पर कांग्रेस ने उन्हें पूर्णिया से टिकट नहीं दिया और यह सीट राजद के हिस्से में चली गई थी. उसके बाद पप्पू यादव ने पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की थी.

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