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Lok Sabha Election 2024: एक तरफ NDA के खिलाफ लोकसभा 2024 के चुनाव के लिए विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की नीव रखी गई है और धड़ाधड़ इसकी तीन बैठकें भी हो गई है. वहीं इस गठबंधन को भाजपा के नेता और अन्य NDA दलों के लीडर घमंडिया गठबंधन कहकर पुकारने लगे हैं. उनका साफ कहना है कि इस गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर ही सिर फुटव्वल होगी. ऐसा दिखने भी लगा है I.N.D.I.A गठबंधन के घटक दल आम आदमी पार्टी के सु्प्रीम नेता अरविंद केजरीवाल छत्तीसगढ़ में पहुंचते हैं तो वहां की कांग्रेस सरकार भाजपा से ज्यादा उनके निशाने पर नजर आती है. ऐसे में भाजपा की तरफ से दावा किया जा रहा है कि दिल्ली बैठक के बाद से ही I.N.D.I.A गठबंधन के भीतर दरार दिखने लगी है और टिकट बंटवारे तक आते-आते यह और चौड़ी होगी.
कांग्रेस की तरफ से जिस तरह से गठबंधन के दलों से राय लिए बिना भोपाल रैली को स्थगित किया गया. वहीं मीडिया के पत्रकारों के बहिष्कार के लिए जिस तरह से लिस्ट जारी की गई. उससे कई दल ही सहमत नहीं है. एक ही मंच पर विरोध के बाद सभी विपक्षी दलों के नेताओं को इकट्ठा करनेवाले नीतीश कुमार का ही स्टैंड पत्रकारों के बहिष्कार वाले मामले में एकदम अलग है.
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अब लोकसभा चुनाव में मुश्किल से मुश्किल 6 महीने का वक्त बचा है. ऐसे में दोनों ही तरफ सीट बंटवारे की हड़बड़ी गठबंधन के सहयोगी दलों में दिख रही है. वह चाहते हैं कि सीटों का नंबर पता चल जाए तो वह उसके मुताबिक अपने उम्मीदवार तय करें. लेकिन, NDA हो या I.N.D.I.A दोनों ही तरफ इस काम में सुस्ती साफ देखी जा रही है.
ऐसे में सूत्रों के हवाले से एक खबर निकलकर आ रही है कि कांग्रेस अभी सीट शेयरिंग पर फैसला तीन महीने और टालने के मुड में है. वह सीट शेयरिंग पर बिहार में नीतीश और लालू दोनों को अभी उलझाए रखने के मुड में है ऐसा लगने लगा है. कांग्रेस सीट शेयरिंग को लेकर नवंबर तक स्थिति क्लियर नहीं करना चाहती है. ऐसे में बिहार में राजद और जदयू के लिए अपने उम्मीदवारों के चयन और नाम केऐसान में देरी हो सकती है.
कांग्रेस मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में होनेवाले विधानसभा चुनाव के नतीजों तक अभी इस मामले में इंतजार करना चाहती है. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के भीतर से यह बात आ रही है कि इन राज्यों के चुनाव में कांग्रेस तीन से चार राज्य में जीत दर्ज कर सकती है. ऐसे में इससे पहले सीट शेयरिंग पर बात करना नुकसान का सौदा होगा.
कांग्रेस पार्टी को पता है कि हिमाचल और कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद से ही उसके कार्यकर्ताओं के हौसले में इजाफा हुआ है. ऐसे में अगर तीन-चार राज्यों में पार्टी को जीत हासिल हो जाती है तो कांग्रेस का कद गठबंधन में और बड़ा और मजबूत हो जाएगा. ऐसे में जो क्षेत्रीय दल उसे अभी अपने राज्य में सीटों के बंटवारे में हिस्सेदार बनाने के मुड में नहीं है. उससे भी मोल-भाव करने में पार्टी को आसानी होगी.
लालू यादव तो दिल्ली बैठक को लेकर दावा कर चुके थे कि यहां सीट शेयरिंग पर बात शुरू हो जाएगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. वहीं नीतीश समय से पहले चुनाव होने की बात कहकर गठबंधन में सीट शेयरिंग का दबाव पहले से बना रहे हैं. अब ऐसे में सीट शेयरिंग पर हो रही देरी किसी भी गठबंधन सहयोगी को रास नहीं आ रही है. वैसे अभी कांग्रेस को जिन राज्यों में जीत का थोड़ा एहसास हो रहा है वहां कोई ऐसी क्षेत्रीय पार्टी नहीं है जिससे कांग्रेस को सीट शेयरिंग के लिए टकराना पड़ेगा. लेकिन, कांग्रेस पश्चिम बंगाल और यूपी के साथ बिहार में क्या करेगी यह तो उसको सोचना होगा.