JDU Crisis: बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू के राष्ट्रीय नेतृत्व में एक बार फिर से परिवर्तन हो गया है. पार्टी की कमान एक बार फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों में आ चुकी है. अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद ललन सिंह के आगे के सफर को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है. कहा जा रहा है कि जेडीयू में अध्यक्ष पद अभिशापित है. इस पद पर बैठने वाले का राजनीतिक जीवन समाप्ति की ओर पहुंच गया है. बस नीतीश कुमार अपवाद हैं. सिर्फ नीतीश कुमार ही हैं जो जेडीयू अध्यक्ष रहते हुए आगे बढ़ सके हैं, बाकी सभी नेताओं का ग्रॉफ नीचे ही गिरा है. 


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नीतीश कुमार हैं अपवाद


स्थापना काल से अब तक जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्षों की स्थिति बुरी ही रही है. जार्ज फर्नांडीस जो कहानी शुरू हुई वो शरद यादव और आरसीपी सिंह से होते हुए ललन सिंह तक पहुंच गई है. ये सभी नेता जेडीयू अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ चुके हैं, लेकिन अध्यक्ष पद से इनकी विदाई तकरीबन एक समान रही है. बस नीतीश कुमार ही हैं जो अपनी मर्जी से पार्टी की कमान संभालते रहे और अपनी मर्जी से ही अध्यक्षी छोड़ते रहे. अब ललन सिंह को भी अध्यक्ष पद से उतार दिया गया है. 


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ललन को भारी पड़ी लालू की यारी


पार्टी की ओर से सफाई दी गई कि लोकसभा चुनाव लड़ने के कारण ललन सिंह ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है. ये सिर्फ हास्यास्पद दलील है, क्योंकि लालू यादव से लेकर शरद पवार, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव सहित तमाम नेता हैं, तो अपनी पार्टी के अध्यक्ष भी हैं और चुनाव भी लड़ते हैं. ललन सिंह के इस्तीफे को लेकर कहा जा रहा है उन्हें नीतीश कुमार की नाराजगी भारी पड़ गई है. कहा जा रहा है कि राजद अध्यक्ष लालू यादव से नजदीकी बढ़ाने के कारण ललन सिंह को ये दंड मिला है. उनपर पार्टी तोड़ने की साजिश रचने तक के इल्जाम लगाए गए हैं. हालांकि, पार्टी ने सार्वजनिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं की है. 


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जॉर्ज से लेकर ललन सिंह तक...


कुछ इसी तरह से पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की विदाई की गई थी. तब ललन सिंह के करीबी नेताओं ने आरसीपी सिंह पर बीजेपी के करीबी होने का और पार्टी विरोधी कार्य करने का आरोप लगाया था. नतीजा ये हुआ कि आरसीपी सिंह को पहले अध्यक्ष पद से हटाया गया फिर पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. जॉर्ज फर्नांडीस आखिरी वक्त में निर्दलीय चुनाव लड़े. इसके अलावा शरद यादव को भी जेडीयू से बाहर जाना पड़ा था. राजनीतिक पंडितों का तो ये भी कहना है कि नीतीश कुमार को जिसने भी आगे बढ़ाया, नीतीश ने उनके साथ ही खेला किया है. तभी तो लालू यादव से लेकर तेजस्वी यादव कभी लगातार कहा करते थे कि ऐसा कोई सगा नहीं जिसे नीतीश ने ठगा नहीं.