Jharkhand Foundation Day 2024: भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन यानी 15 नवंबर को झारखंड प्रदेश पूरे 24 साल का हो जाएगा. 15 नवंबर 2000 को लंबे संघर्ष और इंतजार के बाद बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य अस्तित्व में आया था. हालांकि, इसके गठन का सपना 1930 में यानी देश को आजादी मिलने से पहले से देखा जाने लगा था. उस वक्त के हॉकी खिलाड़ी रहे जयपाल सिंह की अगुआई में अलग झारखंड राज्य बनाने का आंदोलन शुरू हुआ था. साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में बिहार के दक्षिणी हिस्से को विभाजित कर झारखंड का सृजन किया गया था. उस दौरान दो अन्य नए राज्यों का निर्माण हुआ था. पहला- उत्तर प्रदेश से उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) और दूसरा- मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़. पहले उत्तरांचल की तर्ज पर इस प्रदेश का नाम वनांचल रखा जाना था, लेकिन अंतिम समय में झारखंड नाम रखना पड़ा.


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कहते हैं कि 1929 में जयपाल सिंह मुंडा ने पहली बार झारखंड को अलग करने की मांग अंग्रेजों से की थी. इस मांग को साइमन कमीशन ने ठुकरा दिया था. 1947 में जब देश आजाद हुआ तो जयपाल ने यही मांग भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के सामने रखी. उन्होंने झारखंड को बिहार से अलग करने के पीछे दो कारण बताए. पहला कारण- भाषा की भिन्नता और दूसरा कारण- भौगोलिक भिन्नता. बिहार में जहां समतल भूमि है, जहां कई नदियां बहती है, जो खेती के लिए उत्तम है. वहीं दूसरी तरफ झारखंड में पहाड़ ही पहाड़ हैं. इसी मुद्दे पर जयपाल सिंह मुंडा ने 1949 में अपनी पार्टी 'झारखंड पार्टी' का गठन किया. हालांकि, बाद में उन्होंने कांग्रेस में अपनी पार्टी का विलय कर दिया.


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इसके बाद इस मुद्दे को जेएमएम अध्यक्ष शिबु सोरेन और बीजेपी ने जिंदा रखा. 1988 में आगरा में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति में वनांचल अलग राज्य का प्रस्ताव रखा गया. जिसका बिहार भाजपा के प्रभारी मुरली मनोहर जोशी ने वनांचल की मांग का पुरजोर समर्थन किया था और तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने घोषणा की कि बीजेपी की सरकार बनने पर छत्तीसगढ़ एवं उत्तरांचल के साथ-साथ वनांचल का भी निर्माण किया जायेगा. साल 2000 में बिहार विधानसभा में भी वनांचल राज्य के निर्माण का प्रस्ताव केंद्र से भेजा गया, जिसमें राज्य का नाम वनांचल दिया गया था. अंतिम समय में जेएमएम के नेता झारखंड नाम को लेकर अड़ गए. अंत में वाजपेयी सरकार को झुकना पड़ा.


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