Kanke Assembly Seat Profile: झारखंड की कांके विधानसभा सीट का गठन 1967 में अविभाजित बिहार में हुआ था. 1977 में इस सीट को अनुसूचित जाति के प्रत्याशियों के लिए आरक्षित कर दिया गया था. कांग्रेस के दिवंगत नेता जेएन चौबे इस सीट के पहले विधायक हैं. इसके बाद से कांके विधानसभा क्षेत्र में एक अनोखी परंपरा शुरू हो गई. जेएन चौबे के बाद इस सीट से जीतने वाले सभी प्रत्याशियों के नाम में 'राम' लगा हुआ है. सीट आरक्षित होने के बाद 1977 में हीरा राम तूफानी पहले विधायक बने थे. 1980 में कांग्रेस ने रामरतन राम को टिकट दिया, उनको भी जीत हासिल हुई. 1985 में कांग्रेस की टिकट पर हरि राम ने जीत हासिल की. 1990 में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा हुआ. भाजपा से भी जीतने वाले प्रत्याशियों के नाम में 'राम' शब्द लगा हुआ था. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में ये अनोखी परंपरा टूट गई थी.


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2019 में बीजेपी के समरी लाल खरे ने कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेश बैठा को पटखनी देते हुए 22,540 मतों से हराया था. समरी लाल को 1,11,975 जबकि सुरेश बैठा को 89,435 वोट मिले थे. वहीं आजसू के रामजीत गंझू को 29127 वोट मिले थे. बीजेपी ने अपने सीटिंग विधायक जीतू चरण राम का टिकट काट कर सिमरी लाल को कैंडिडेट बनाया था. सिमरी लाल ने भी पार्टी के भरोसे को कायम रखा और जीत हासिल की. 


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वहीं साल 2014 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में कांके सीट पर 59 फीसदी वोटिंग हुई थी. इस सीट पर बीजेपी के डॉ जीतू ने कांग्रेस के सुरेश को पराजित किया था. डॉ जीतू को 115702 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस को 55898 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के अशोक कूमा रहे जिन्हें कुल वोट 17411 वोट मिले थे.


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कांके (आरक्षित) सीट के विधायक


1977- हीरा राम तूफानी
1980- राम रतन राम
1985- हरि राम
1990- रामचंद्र बैठा
1995- रामचंद्र बैठा
2000- रामचंद्र नायक
2005- रामचंद्र बैठा
2009- रामचंद्र बैठा
2014- डॉ जीतू चरण राम
2019- सिमरी लाल खरे