Bharat Jodo Yatra: कांग्रेस पार्टी ने शनिवार (13 मई) को बीजेपी के दक्षिण किले को जीत लिया है. शनिवार को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आए, जिसमें कांग्रेस ने जबरदस्त जीत हासिल की है. इसी के साथ दक्षिण भारत से बीजेपी का पूरी सफाया हो चुका है. हालांकि ये कोई नई बात नहीं है. तकरीबन साढ़े तीन दशक के इतिहास में हर बार ऐसा ही हुआ है, जब कोई सरकार सरकार अगली बार सत्ता में न लौटी हो. लेकिन कांग्रेस पार्टी अपनी इस सफलता का क्रेडिट राहुल गांधी और भारत जोड़ो यात्रा को देने में लगी है. 


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कर्नाटक में इस तरह के प्रदर्शन से कांग्रेस पार्टी काफी गदगद है. पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से भारत जोड़ो यात्रा के दौरान का एक वीडियो शेयर कर लिखा कि मैं अजेय हूं, मुझे भरोसा है आज मुझे कोई रोकने वाला नहीं है. तो आइए जानते हैं कि क्या सच में भारत जोड़ो यात्रा ने कमाल कर दिया. राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और कश्मीर में समाप्त हुई थी. इस यात्रा के जरिए राहुल गांधी देश के कई राज्यों में पैदल यात्रा की थी. 


भारत जोड़ो यात्रा का एक लंबा पड़ाव कर्नाटक में संपन्न हुआ था. यहां राहुल गांधी ने 21 दिनों में 511 किलोमीटर की यात्रा की थी. ये यात्रा प्रदेश के सात जिलों से गुजरी थी जिनमें 51 विधानसभा सीटें आती हैं. इन 51 में से 34 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है. भारत जोड़ो यात्रा के बाद पार्टी को सबसे पहली सफलता हिमाचल प्रदेश में हासिल हुई थी. कांग्रेस ने यहां भी बीजेपी से सत्ता छीनी थी. हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों में से 40 पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया था. बीजेपी सिर्फ 25 सीटों पर सिमट कर रह गई थी जबकि 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी.


इस लिहाज से कर्नाटक फतह में भारत जोड़ो यात्रा का काफी असर देखने को मिला और इस सच में यात्रा से राहुल गांधी की छवि सुधरी है. भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस देशभर में राहुल गांधी को गंभीर छवि वाले नेता बताने में कामयाब हो गई है. घुटने में चोट के बावजूद राहुल का पैदल चलना मीडिया और सोशल मीडिया की सुर्खियों में बना रहा. ठंड में टीशर्ट पहनकर यात्रा करना भी चर्चा में रहा. इसके अलावा 2014 में करारी हार के बाद कांग्रेस जमीन पर लड़ाई में लगातार पिछड़ रही थी. दूसरे शब्दों में कहे तो कांग्रेसी सड़कों से गायब हो रहे थे. भारत जोड़ो यात्रा की दूसरी बड़ी उपलब्धि यह रही कि तमिलनाडु से लेकर जम्मू-कश्मीर तक सड़कों पर कांग्रेसी उतर आए. अब चुनावों में इसका असर साफ दिखाई दे रहा है. 


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राहुल गांधी के मुताबिक, इस पदयात्रा का मकसद बीजेपी सरकार की विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ देश को एकजुट करना था. देश में फैलाई जा रही नफरत, हिंसा को दूर करना, जनता के मन से भय को दूर करना, महंगाई व बेरोजगारी को लेकर जागरूक करना था. भारत जोड़ो यात्रा से कई विवाद भी जुड़े लेकिन राहुल ने यात्रा को नहीं रोका. कोरोना के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से यात्रा को स्थगित करने की अपील की गई थी तो राहुल ने इसे भी राजनीति से जोड़ दिया था. उन्होंने इसे बीजेपी का डर बताया था. जिसके बाद केंद्र ने कोई एक्शन नहीं लिया और यात्रा अपने अंजाम तक पहुंचने में सफल रही.